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ट्रंप 2.0 से टेंशन में पाकिस्तान, भारतीय मूल की तुलसी समेत इन नेताओं ने उड़ाई नींद

  • अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप अपनी नई टीम चुन रहे हैं। बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति यह उनका दूसरा टर्म होगा। ट्रंप अपनी नई कैबिनेट के कई सारे सदस्यों को चुन चुके हैं।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, वॉशिंगटनTue, 19 Nov 2024 01:08 PM
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप अपनी नई टीम चुन रहे हैं। बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति यह उनका दूसरा टर्म होगा। ट्रंप अपनी नई कैबिनेट के कई सारे सदस्यों को चुन चुके हैं। ट्रंप कैबिनेट में जिन चेहरों को चुना गया है, उसने पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी है। इन चेहरों में भारतीय मूल की तुलसी गोबार्ड भी हैं, जो पहले भी पाकिस्तान को निशाने पर लेती रही हैं। इसको लेकर पाकिस्तान के पॉलिसी मेकर्स, थिंक टैंक्स और पाकिस्तानी सेना के तमाम अधिकारियों में भी काफी बेचैनी है। असल में ट्रंप की टीम के नए सदस्यों, जिनमें सेक्रेट्री ऑफ स्टेट, रक्षा सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और जासूसी एजेंसी सीआईए चीफ, सभी पाकिस्तान के मुखर आलोचक रहे हैं। अमेरिकी विदेश नीति से खुद को खारिज होता देख पाकिस्तान नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गया है। एक नजर ट्रंप सरकार के उन चेहरों पर, जिसने पाकिस्तान को परेशान कर दिया है।

मार्को रुबियो, सेक्रेट्री ऑफ स्टेटसीनेटर मार्को रुबियो को ट्रंप सरकार में सेक्रेट्री ऑफ स्टेट बनाया गया है। मार्को रुबियो अमेरिका में भारत समर्थित बिल पेश कर चुके हैं। इसमें पाकिस्तान को लेकर चिंता भी जताई जा चुकी है। ऐसे में मार्को को लेकर पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय में घंटियां बजने लगी हैं। रुबियो के प्रस्तावित बिल में भारत के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित करने में पाकिस्तान का हाथ बताया गया है। इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान सरकार समर्थित प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। ऐसे में उसे अमेरिका से किसी तरह की मदद नहीं मिलनी चाहिए।

‘यूएस-इंडिया डिफेंस को-ऑपरेशन एक्ट’ नाम के इस बिल में रुबियो ने सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन पर भी निशाना साधा था। उन्होंने क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल की काट के तौर पर भारत से रक्षा सहयोग बढ़ाने की बात कही थी। बिल के मुताबिक अमेरिका को सलाह दी गई थी कि वह टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में भारत के साथ-साथ जापान, इजरायल, दक्षिण कोरिया और नाटो को शीर्ष सहयोगी समझे। साथ ही भारत को रक्षा, तकनीक, रक्षा निवेश और सिविल स्पेस में सहयोग के जरिए पूरा सुरक्षा सहयोग देने की बात भी कही गई है।

माइकल वॉल्ट्ज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
ट्रंप प्रशासन के एक अन्य अहम नाम, माइकल वॉल्ट्स भी पाकिस्तान के धुर आलोचक रहे हैं। उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से भी पाकिस्तान की भौहें तनी हुई हैं। वॉल्ट्ज पूर्व में पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर कड़ी नसीहत दे चुके हैं। उन्होंने कहा था आतंकवाद विदेश नीति का टूल नहीं हो सकता। चाहे लश्कर-ए-तैयबा हो या कोई अन्य आतंकी संगठन, स्वीकार नहीं होगा। पाकिस्तान सरकार, सेना और आईएसआई को इनसे बाहर निकलना होगा। उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का दोषी बताया था। साथ ही सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाने की भी सलाह दी थी।

तुलसी गाबार्ड, नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर
कुछ ऐसा ही रवैया तुलसी गाबार्ड भी रहा है। ट्रंप प्रशासन में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक की अहम पोस्ट हासिल करने वाली तुलसी पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत के साथ रही हैं। 2019 में पुलवामा हमले के बाद उन्होंने खुलकर भारत का साथ दिया था। इसके अलावा वह पाकिस्तान को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को शरण देने के लिए लताड़ लगा चुकी हैं। ओसामा साल 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नैवी सील के ऑपरेशन में मार गिराया गया था।

जॉन रैटक्लिफ, सीआईए चीफ
सीआईए के अगले प्रमुख जॉन रैटक्लिफ को चीन और ईरान के प्रति उनके तीखे नजरिए के लिए जाना जाता है। वह इस्लामाबाद की गतिविधियों पर भी कड़ी नजर रखेंगे। ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में इस्लामाबाद के लिए अमेरिका के साथ संबंध निभाने में मुश्किल आएगी। अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को आतंकवाद और आतंकियों पर कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ना भी तय है। साथ ही यह भी समझ में आ रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के मंत्रिमंडल के चयन पाकिस्तान के लिए एक संदेश है कि इस्लामाबाद उनकी प्राथमिकता सूची में नहीं है।

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