पाकिस्तान में आधी रात हुई संसद की कार्रवाई, संविधान में ऐसा क्या बदला जिससे भड़का विवाद?
- पाकिस्तान में रविवार देर रात संसद की हुई बैठक में संविधान संशोधन बिल पास हो गया। इस संशोधन के तहत देश में संसद को कोर्ट के जज चुनने के अधिकार दिए गए हैं जिसे लेकर विवाद हो रहा है।
पाकिस्तान में अब सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति संसद करेगी। इसे पाकिस्तान की संसद की मंजूरी मिल गई है। इस बिल को पास कराने के लिए खास संसद सत्र भी बुलाया गया जो रविवार देर रात 11.36 बजे शुरू हुआ। पाकिस्तान नेशनल असेंबली में आधी रात तक चले इस सत्र में सोमवार सुबह 5 बजे यह विवादास्पद 26वां संविधान संशोधन बिल पास हो गया। यही नहीं इस बिल को दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के कुछ घंटे बाद ही राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी मंजूरी दे दी है। इस जल्दबाजी से शाहबाज शरीफ सरकार के मंसूबों पर सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि यह कानून देश की न्यायिक प्रणाली को प्रभावी रूप से निहत्था बनाता है।
क्या है 26वां संविधान संशोधन
संविधान (26वां संशोधन) अधिनियम 2024 को मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का अधिकार संसद के हाथ में देने के लिए लाया गया है। संशोधन पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJP) के कार्यकाल को तीन साल तक सीमित करता है। इससे पहले न्यायिक नियुक्तियों में योग्यता और अनुभव के आधार पर संभावित रूप से लंबे कार्यकाल की इजाजत मिलती थी। वहीं चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए एक 12 सदस्यीय आयोग की स्थापना की गई है। इस आयोग में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जज, दो सीनेटर और नेशनल असेंबली के दो सदस्य शामिल होंगे, जिनमें विपक्ष का एक सदस्य भी शामिल है। संशोधन का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करना है। इस संविधान संशोधन में जजों की जवाबदेही बढ़ाने के लिए उन्हें नंबर भी मिलेंगे। इसके लिए एक प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली शुरू की गई है।
क्यों हुआ विवाद
जहां समर्थकों का तर्क है कि ये सुधार न्यायिक क्षमता और जवाबदेही में सुधार के लिए जरूरी हैं वहीं विरोधियों का तर्क है कि इससे न्यायिक आजादी को खतरा है। इस बिल को लाने के समय और इसे पास करने के तरीकों पर भी विवाद हो रहा है। आलोचकों का तर्क है कि यह कदम शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा स्वतंत्र न्यायपालिका पर कंट्रोल करने का एक तरीका है। विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ चल रहे तनाव के मद्देनजर इस फैसले को अहम माना जा रहा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सदस्यों ने बताया है कि इस विधेयक के लिए अपना समर्थन देने के लिए उन्हें अपहरण की धमकियां तक मिली। उन्हें डराया-धमकाया गया।
‘नया सूरज’
सरकार को विधेयक पारित करने के लिए 224 वोटों की जरूरत थी। एनए अध्यक्ष अयाज सादिक की अध्यक्षता में मतदान शुरू होने पर नेशनल असेंबली के 225 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि पीटीआई और सुन्नी-इत्तेहाद परिषद (एसआईसी) के 12 सदस्यों ने इसका विरोध किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संसद को ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा, "यह 26वां संशोधन केवल एक संशोधन नहीं है बल्कि राष्ट्रीय एकजुटता और आम सहमति का एक उदाहरण है। पूरे देश में एक नया सूरज उगेगा।"
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