Hindi Newsविदेश न्यूज़Nobel laureate Malala appeals to Muslim leaders to look at condition of women and not give recognition to Taliban

महिलाओं की हालत देखें, तालिबान को न दें मान्यता; नोबेल विजेता मलाला की मुस्लिम नेताओं से गुहार

  • Nobel laureate Malala on taliban: पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई ने मुस्लिम नेताओं से अफगान तालिबान सरकार को मान्यता न देने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानSun, 12 Jan 2025 09:30 PM
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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई ने रविवार को मुस्लिम नेताओं के सामने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने कहा कि मुस्लिम नेताओं को तालिबान सरकार को मान्यता देने से पहले एक बार वहां पर महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे व्यवहार पर नजर डालनी चाहिए। मलाला ने तमाम नेताओं से गुजारिश की कि वह तालिबान सरकार को मान्यता न दें और महिलाओं पर अत्याचार करने के लिए उनकी आलोचना भी करें।

पाकिस्तान राजधानी इस्लामाबाद में लड़कियों की शिक्षा पर आयोजित एक शिखर सम्मेलन के दौरान मलाला ने महिलाओं के हक में आवाज उठाई। नोबेल विजेता ने नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों को तालिबान को वैध नहीं बनाना चाहिए। इस्लामी दुनिया के नेता होने के नाते अब अपनी आवाज उठाने और अपनी शक्ति का उपयोग करने का समय है। आपको सच्चा नेतृत्व दिखाना होगा, सच्चा इस्लाम दिखाना होगा।

मुस्लिम बहुल देशों के मंत्रियों और शिक्षा अधिकारियों के बीच बैठीं मलाला ने कहा कि अगर हम साफ शब्दों में कहें तो तालिबान महिलाओं को इंसान नहीं मानता। वे बुरे कामों को सांस्कृतिक और धार्मिक चोगा पहना देते हैं। वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं और फिर से ऐसा ही कर रहे हैं।

क्यों है तालिबान का विरोध

अमेरिकी सेना के जाने के बाद तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद तालिबान सरकार ने इस्लामी कानून को सख्ती से लागू करते हुए लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया। इस समय पर अफगानिस्तान एकमात्र ऐसा देश है जो इस तरह के प्रतिबंध लगाए हुए है। संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के इस कदम कि निंदा की और इसे लैंगिक भेदभाव बताया।

तालिबान को लेकर दुनिया में दो मत

तालिबान में लड़कियों की पढ़ाई पर लगे प्रतिबंद को लेकर दुनियाभर के देशों के दो मत हैं। एक पक्ष यह कहता है कि अफगानिस्तान को दुनिया से अलग-थलग कर देना चाहिए, जिससे तालिबान अपनी नीतियां बदलने पर मजूबर होगा। वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि तालिबान के साथ बातचीत करके इस मुद्दे पर उनकी राय बदलने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि अभी तक किसी भी देश ने अफगानिस्तान तालिबान सरकार को पूर्णतः मान्यता नहीं दी है। लेकिन तब भी कई देश व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा के नाम पर तालिबान से बातचीत करते हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय आलोचना का तालिबान की नीतियों पर बहुत कम ही प्रभाव पड़ा है।

कौन हैं मलाला युसुफजई?

महिलाओं के लिए शिक्षा की वकालत करने के लिए मलाला युसुफजई को 15 साल की उम्र में 2012 में गोली मार दी गई थी। लंब इलाज के बाद मलाला इस हमले से जिंदा बच गईं। बाद में वह अपनी पढ़ाई के लिए ब्रिटेन में बस गईं और अभी वहीं पर रहती हैं। हमले के बाद 2014 में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया। वर्तमान में वह महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए एक काम करती हैं।

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