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नेपाल में हर पांच साल में होता है 'खूनी मेला', 2.5 लाख जानवरों की सामूहिक बलि; बचाने में जुटा भारत

  • नेपाल में हर पांच साल में गढ़ीमाई के मंदिर का मेला होता है। इसमें ढाई लाख से 5 लाख जानवरों की बलि दे दी जाती है। दो ही दिन में 4200 भैंसों की बलि दे दी गई।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 Dec 2024 08:28 AM
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नेपाल में हर पांच साल में गढ़ीमाई का मेला होता है जहां लाखों जानवरों की सामूहिक बलि दे दी जाती है। सशस्त्र सीमा बल और स्थानीय प्रशासन ने इस बार जानवरों को बचाने के लिए दिन रात एक कर दिया। जानकारी के मुताबिक भारतीय सुरक्षाबलों और प्रशासन की सतर्कता की वजह से कम से कम 750 जानवरों को बचाया गया है जिनमें भैंसें, बकरियां, भेड़ औऱ अन्य जानवर शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक इस बार दो ही दिन में 8 और 9 दिसंबर को गढ़ीमाई के मंदिर में 4200 भैंसों की बलि दे दी गई।

प्रशासन की सख्ती से जिन जानवरों को बचाया गया है उनमें 74 भैंसें शामिल हैं। इन जानवरों को गुजरात के जामनगर में रिलायंस ग्रुप के वाइल्डलाइफ रिहैबिलिटेशन सेंटर में भेज दिया गया है। एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और अन्य संगठनों की मदद से पहली बार इश तरह का अभियान चलाया गया। स्थानीय प्रशासन ने भी सैकड़ों भैसों, बकरियों, कबूतरों और मुर्गियों को बलि के लिए सीमा पार कराने से रोका। बता दें कि नेपाल के बारा जिले के बरियारपुर गांव में हर पांच साल में यह मेला लगता है जिसमें लाखों जानवरों की सामूहिक बलि दे दी जाती है। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बलि के लिए नेपाल ले जाए जाने वाले जानवरों को बचाया जाए।

जानकारों के मुताबिक इस मेले में महीनेभर में करीब 2.5 लाख से पांच लाख जानवरों की बलि दे दी जाती है। बताया जाता है कि 265 सालों से गढ़ीमाई का यह उत्सव होता है। नेपाल के भी सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में जानवरों की बलि रोकने का आदेश दिया था। बताया गया कि बलि के लिए ज्यादातर जानवर खरीदे जाते हैं। जानकारों का कहना है कि लोग मन्नत पूरी होने के लिए गढ़ीमाई के मंदिर में बलि देते हैं। विश्व में सबसे ज्यादा बलि इसी मंदिर में होती है।

मान्यता है कि गढ़ीमाई मंदिर के संस्थापक भगवान चौधरी को सपना आया था कि जेल से छुड़ाने के लिए माता बलि मा्ंग रही हैं। इसके बाद पुजारी ने जानवर की बलि दे दी। इसके बाद से ही यहां लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं और जानवरों की बलि देते हैं। यह मेला 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक आयोजित किया गया। इस मेले में विदेश से भी बहुत सारे लोग आते हैं।

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