Hindi Newsविदेश न्यूज़Nepali Foreign Minister to China said Nepal rules out loans for BRI projects

वैसे मदद कीजिए, लेकिन BRI के लिए लोन नहीं ले सकते; नेपाल की चीन को दो टूक

  • दो दिन पहले नेपाली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि नेपाल बीआरआई व्यवस्था के तहत चीन से अनुदान और तकनीकी सहायता स्वीकार कर सकता है, लेकिन ऋण नहीं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, काठमांडुSun, 1 Dec 2024 12:59 AM
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नेपाल और चीन ने मई 2017 में बीआरआई (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) की पहली रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसके तहत एक भी परियोजना अभी तक कार्यान्वित नहीं हुई है। पैसों की कमी या भारत का विरोध इसकी कुछ वजहों में से एक माना जा रहा है। इसको लेकर अब नेपाल ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। दरअसल नेपाल ने चीन से कहा है कि वह BRI के लिए लोन नहीं ले सकता।

नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने चीन को स्पष्ट रूप से बताया है कि नेपाल फिलहाल किसी भी प्रकार का ऋण लेने की स्थिति में नहीं है और देश अनुदान (grants) पर ही निर्भर रहेगा। देउबा ने शनिवार को यह बयान चीन की तीन दिवसीय यात्रा से लौटने के बाद त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दिया।

उन्होंने कहा कि 2017 में नेपाल और चीन के बीच हुए BRI फ्रेमवर्क समझौते को नेपाल, चीन और सभी घरेलू हितधारकों के बीच आपसी समझ और सहमति के आधार पर लागू किया जाएगा। देउबा ने पत्रकारों से कहा, "मैंने मंत्री वांग यी से स्पष्ट रूप से कहा कि नेपाल ऋण लेने की स्थिति में नहीं है। हमारी चर्चाओं में बीआरआई परियोजनाओं को अनुदान के माध्यम से आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।"

चीन यात्रा का उद्देश्य

विदेश मंत्री देउबा ने अपने चीनी समकक्ष के साथ चेंगदू में शुक्रवार को हुई वार्ता को द्विपक्षीय संबंधों को सभी स्तरों पर मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की आगामी चीन यात्रा से पहले यह बातचीत बेहद महत्वपूर्ण थी। प्रधानमंत्री ओली अपनी यात्रा के दौरान चीन के साथ कनेक्टिविटी, व्यापार और पर्यटन जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। विशेष रूप से, 2015 के भूकंप के बाद बंद हुई सीमा चौकियों को फिर से सुचारू रूप से संचालन में लाने पर भी बातचीत होने की उम्मीद है।

गठबंधन सरकार पर खतरा

नेपाली कांग्रेस नेता देउबा ने चीन को आगाह किया कि यदि बीआरआई परियोजनाओं पर ऋण आधारित समझौते किए गए तो यह प्रधानमंत्री ओली की गठबंधन सरकार के लिए संकट खड़ा कर सकता है। देउबा प्रधानमंत्री की 44-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में एकमात्र मंत्री हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी घरेलू राजनीति के दायरे से बाहर जाकर कोई भी समझौता स्वीकार नहीं करेगी। प्रधानमंत्री ओली की चीन यात्रा से पहले देउबा का यह स्पष्ट रुख नेपाल-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण दिशा की ओर इशारा करता है। अब देखना होगा कि ओली की यात्रा में नेपाल और चीन के बीच किन मुद्दों पर सहमति बनती है।

दो दिन पहले नेपाली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि नेपाल बीआरआई व्यवस्था के तहत चीन से अनुदान और तकनीकी सहायता स्वीकार कर सकता है, लेकिन ऋण नहीं। नेपाली कांग्रेस (एनसी) नेता और पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के पी ओली की दो दिसंबर से शुरू होने वाली चीन यात्रा से कुछ दिन पहले आई है। नेपाली कांग्रेस नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि नेपाल सड़कों और संपर्क के लिए बीआरआई के तहत चीन से सहायता मांग सकता है, लेकिन उसकी प्राथमिकता अनुदान या तकनीकी सहायता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अपने राष्ट्रीय हित पर विचार करने के साथ-साथ अपनी आवश्यकता का आकलन करने की भी जरूरत है।’’

भारत बीआरआई का विरोध करता रहा है। बीआरआई चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक प्रिय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में निवेश के साथ चीन के वैश्विक प्रभाव में वृद्धि करना है। नई दिल्ली ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के निर्माण को लेकर बीजिंग के खिलाफ विरोध जताया है। सीपीईसी बीआरआई की प्रमुख परियोजना है।

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