खाक में मिला आतंकी मसूद अजहर का खानदान, बोला- हमले में बच जाने का है मुझे गम
ऑपरेशन सिंदूर में आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग मारे गए हैं। इस हमले के बाद दुखी मसूद अजहर ने लिखा है कि अच्छा होता कि मैं भी मर जाता।

पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकवाद के बड़े अड्डों पर मंगलवार रात मिसाइलों की बारिश कर दी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने जिन 9 ठिकानों को निशाना बनाया, उसमें खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित मुख्यालय सुभान अल्लाह मस्जिद भी शामिल है। वर्ष 1999 के कंधार हाईजैक के बाद छुड़ाए गए जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग भी इस हमले में मारे गए हैं।
अजहर मसूद ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया है कि हमले में उसकी बड़ी बहन और जीजा समेत 10 परिवारवालों और 4 करीबियों की मौत हो गई है। निहत्थे और निर्दोष लोगों पर कायराना तरीके से आंतकी हमलों को अंजाम दिलाने वाले मसूद अजहर ने अपने जख्मों को अलग रंग देने की कोशिश की और अपनी जान बच जाने पर गम जाहिर किया है।
मसूद बोला- यह सिर्फ गम का वक्त नहीं
मसूद अजहर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘यह वक्त सिर्फ गम का नहीं बल्कि फक्र और सब्र का भी है। एक ही घर के इतने लोगों को वह मुकाम हासिल हुआ है, जो बहुत ही कम लोगों को नसीब होता है-अल्लाह के मेहमान बनना, शहादत का दर्जा पाना। ये सब वो लोग हैं जिन्हें अल्लाह ने अपने खास मेहमानों की तरह बुला लिया।’
परिवार का कौन-कौन मारा गया?
अजहर ने कहा, 'हमले में मारे गए लोगों में मेरी बड़ी बहन, उनके पति, भांजे और उसकी पत्नी, एक अन्य भांजी और परिवार के पांच बच्चे शामिल हैं।' उसने आगे बताया कि इसके अलावा हमले में उसके एक करीबी सहयोगी, उसकी मां और दो अन्य सहयोगी भी मारे गए हैं।
बिल में छिपे मसूद ने कहा- यह दर्जा चाहता है हर मोमिन
हमले के डर से पहले ही किसी बिल में छिप चुके मसूद अजहर ने पीएम मोदी पर अपनी बौखलाहट जाहिर करते हुए कहा, 'बुजदिल मोदी ने मासूम बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बनाया है।' दुनिया के बेहद खूंखार आतंकियों में शामिल अजहर ने कहा कि उसके परिवार के लोगों को अल्लाह ने वो दर्जा दिया, जिसे हर मोमिन चाहता है।
‘काश! मैं भी इनमें शामिल होता’
मसूद अजहर ने आतंकी गुनाहों की सजा को 'शहादत' का लबादा ओढ़ाने की कोशिश करते हुए दुख जाहिर किया कि इसे यह मौका नहीं मिला। उसने लिखा,'इन मासूमों का जाना दुखद है, लेकिन उनका मुकाम बहुत ऊंचा है। बार-बार दिल चाहता है कि काश मैं भी इस '14 शहीदों'के काफिले का हिस्सा होता। लेकिन अल्लाह का तय किया वक्त कभी आगे-पीछे नहीं होता।'
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