तेल के कुएं में मिला खजाना, इस मुस्लिम देश में पहली बार निकला 'सफेद सोना', और भी हो जाएगा मालामाल
- सऊदी अरब के उप खनिज मंत्री खालिद अल-मुदईफर ने मंगलवार को घोषणा की कि देश ने अरामको के तेल क्षेत्रों से निकलने वाले खारे पानी से लिथियम निकालने में सफलता पाई है। लिथियम को 'सफेद सोना' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का आधार है।
सऊदी अरब ने इतिहास रचते हुए तेल के कुओं से निकलने वाले खारे पानी (ब्राइन) से पहली बार लिथियम सफलतापूर्वक निकाला है। इसे 'सफेद सोना' कहा जाता है क्योंकि यह आज की तकनीकी दुनिया का एक अहम घटक है। लिथियम का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन, और लैपटॉप की बैटरियों में होता है, इस वजह से यह मौजूदा वक्त में काफी मूल्यवान हो जाता है। सऊदी अरब की इस उपलब्धि ने न केवल तकनीकी जगत में उत्साह पैदा किया है, बल्कि देश के लिए आर्थिक विकास के नए रास्ते भी खोल दिए हैं।
अरब न्यूज के मुताबिक, सऊदी अरब के उप खनिज मंत्री खालिद अल-मुदईफर ने मंगलवार को घोषणा की कि देश ने अरामको के तेल क्षेत्रों से निकलने वाले खारे पानी से लिथियम निकालने में सफलता पाई है। यह प्रोजेक्ट लिथियम इनफिनिटी (लिहाइटेक) नामक स्टार्टअप के नेतृत्व में संचालित हो रहा है। इस परियोजना में सऊदी खनन कंपनी मादेन और अरामको का भी सहयोग है। अल-मुदईफर ने बताया कि जल्द ही इस नई तकनीक का व्यावसायिक पायलट प्रोग्राम शुरू किया जाएगा। इसके तहत तेल क्षेत्रों से निकलने वाले खारे पानी का लगातार उपयोग करके लिथियम का उत्पादन किया जाएगा।
गौरतलब है कि लिथियम आमतौर पर नमक के मैदानों और खनिज खदानों से निकाला जाता है, लेकिन सऊदी अरब ने इसे तेल कुओं के पानी से निकालने की अनूठी विधि विकसित की है। यह तकनीक किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी में शोध और विकास के वर्षों का परिणाम है। हालांकि, यह पारंपरिक तरीकों की तुलना में अभी अधिक खर्चीली है। उप मंत्री ने कहा कि यदि भविष्य में लिथियम की वैश्विक मांग और कीमतें बढ़ती हैं, तो यह प्रोजेक्ट जल्द ही आर्थिक रूप से भी लाभदायक साबित होगा।
और मालामाल होगा सऊदी अरब
सऊदी अरब अब तक अपनी अर्थव्यवस्था को तेल और गैस पर निर्भर करता आया है, इस परियोजना के जरिए विजन 2030 के तहत अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। लिथियम जैसे बहुपयोगी तत्व का उत्पादन न केवल देश को तकनीकी नवाचार में अग्रणी बनाएगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति में उसकी भूमिका को भी मजबूत करेगा।
क्या है लिथियम की अहमियत?
लिथियम को 'सफेद सोना' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का आधार है। यह इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल और लैपटॉप की बैटरियों में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख तत्व है। जैसे-जैसे दुनिया फॉसिल फ्यूल्स से दूर हो रही है, लिथियम की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है। इस समय लिथियम उत्पादन में चिली, ऑस्ट्रेलिया, और अर्जेंटीना जैसे देश अग्रणी हैं। सऊदी अरब की यह तकनीकी सफलता उसे इस प्रतिस्पर्धा में शामिल कर सकती है। हालांकि, इस नई विधि को व्यावसायिक रूप से सस्ते और कुशल बनाने की चुनौती अभी बनी हुई है।
सऊदी अरब की यह उपलब्धि तेल पर निर्भरता कम करने और तकनीकी क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस प्रोजेक्ट की सफलता न केवल सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगी, बल्कि तेल के पारंपरिक उत्पादक के रूप में जाने वाले सऊदी अरब की दुनिया में छवि भी बदलेगा।
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