Hindi Newsविदेश न्यूज़Joy Bangla is also no longer the national slogan Traces of Sheikh Mujibur Rahman are disappearing from Bangladesh

बांग्लादेश से मिट रही हैं शेख मुजीबुर्रहमान की निशानियां, पहले करेंसी नोट, 'जय बांग्ला' भी नहीं रहा राष्ट्रीय नारा

  • बांग्लादेश में शेख हसीना की विदाई के बाद धीरे-धीरे उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की निशानियां मिटाई जा रही हैं। पहले करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान तस्वीर हटाई गई और अब 'जय बांग्ला' को राष्ट्रीय नारे के दर्जे से भी हटा दिया गया है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 10 Dec 2024 06:18 PM
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बांग्लादेश में एक के बाद एक शेख मुजीबुर्रहमान की निशानियों को मिटाया जा रहा है। पहले करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाई गई और अब 'जय बांग्ला' को राष्ट्रीय नारे के दर्जे से भी हटा दिया गया है। यह कदम अंतरिम सरकार द्वारा हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को चुनौती देने के बाद उठाया गया। दरअसल 'जय बांग्ला' नारा 1971 के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक रहा है और इसे बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान ने जन-जन में लोकप्रिय बनाया। 2020 में शेख हसीना सरकार के दौरान हाई कोर्ट ने इसे राष्ट्रीय नारा घोषित किया था। अदालत ने कहा था कि सरकारी कार्यक्रमों, राष्ट्रीय दिवसों और शैक्षिक संस्थानों में इसका उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाई कोर्ट के फैसले पर रोक

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की अपील डिवीजन ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाते हुए 'जय बांग्ला' को राष्ट्रीय नारे का दर्जा समाप्त कर दिया। मुख्य न्यायाधीश सैयद रिफात अहमद की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय बेंच ने यह निर्णय लिया। अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनिक आर हक ने कहा, "'जय बांग्ला' अब राष्ट्रीय नारे के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं रहेगा।"*

पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश के राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतीकों में बदलाव तेजी से हुआ है। शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को पहले ही बैंक नोटों से हटा दिया गया था। अब 'जय बांग्ला' पर हुई कार्रवाई से यह सवाल उठने लगा है कि क्या बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार शेख मुजीब की विरासत को खत्म करने की कोशिश कर रही है?

हसीना के जाते ही बदलने लगी बांग्लादेश की तस्वीर

5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर बदलाव देखे जा रहे हैं। 'जय बांग्ला' को हटाए जाने को इस बदलाव का अहम हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, यह नारा न केवल राजनीतिक पहचान था बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम का भावनात्मक प्रतीक भी था।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के इस कदम ने देश की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है। मुजीब समर्थक इसे स्वतंत्रता संग्राम और उनकी विरासत के खिलाफ साजिश मान रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार इसे 'न्यायिक प्रक्रिया' का हिस्सा बता रही है। क्या 'जय बांग्ला' का हटना महज एक कानूनी निर्णय है, या यह इतिहास बदलने की एक सोची-समझी रणनीति? यह सवाल बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम है।

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