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बुशरा बीबी किस अधिकार से ले रहीं फैसले? मार्च निकलवाकर फंस गईं इमरान खान की पत्नी, पार्टी में बवाल

  • इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई नेताओं ने यह सवाल उठाया है कि आखिर कैसे बुशरा बीबी ने आंदोलन को लेकर फैसला लिया और इस्लामाबाद के डी-चौक का घेराव करने की बात तय हुई। सवाल उठाए जा रहे हैं कि बुशरा बीबी किस अधिकार से यह फैसले ले रही हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, इस्लामाबादThu, 28 Nov 2024 10:58 AM
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पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तीन दिन तक चले संग्राम के बाद इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने आंदोलन को वापस ले लिया है। इस उग्र प्रदर्शन में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कई कार्यकर्ता मारे गए हैं, जबकि 6 सुरक्षाकर्मी भी मारे गए। इस बीच पीटीआई में पार्टी के मुखिया इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई नेताओं ने यह सवाल उठाया है कि आखिर कैसे बुशरा बीबी ने आंदोलन को लेकर फैसला लिया और इस्लामाबाद के डी-चौक का घेराव करने की बात तय हुई। सवाल उठाए जा रहे हैं कि बुशरा बीबी किस अधिकार से यह फैसले ले रही हैं।

खासतौर पर सुरक्षा बलों की फायरिंग में पार्टी कार्यकर्ताओं के मारे जाने से गुस्सा भड़क गया है। बुधवार को पीटीआई की आंतरिक कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें नेताओं ने बुशरा बीबी के रोल पर चर्चा की। कमेटी की मीटिंग में पीटीआई कार्यकर्ताओं के मारे जाने की निंदा की गई। इसके अलावा न्यायिक जांच कराने की मांग भी की गई। यही नहीं इस बात पर भी चर्चा हुई कि आखिल किसके आदेश पर इस्लामाबाद के डी-चौक का घेराव करने का फैसला हुआ था। यह बात भी हुई कि जब इमरान खान ने इस्लामाबाद के बाहरी इलाके संगजानी चौक पर धरना देने को कहा था तो फिर किसके आदेश पर डी-चौक का घेराव किया गया।

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इस तरह पहली बार बुशरा बीबी के रोल पर ही सवाल उठे हैं। बुशरा बीबी पर आरोप लग रहे हैं कि वह बिना किसी अधिकार के ही पार्टी को लेकर जरूरी फैसले ले रहे हैं। पाकिस्तानी वेबसाइट द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पीटीआई की पॉलिटिकल कमेटी की मीटिंग में बुशरा बीबी पर खूब सवाल उठे, लेकिन किसी ने भी उनका बचाव नहीं किया। इस दौरान बात हुई कि यदि इमरान खान के कहने पर संगजानी चौक पर ही धरना दिया जाता तो पीटीआई के कार्यकर्ता न मारे जाते, जिनका कत्ल डी-चौक का घेराव करने के चलते हुआ। पीटीआई के नेताओं ने कहा कि यदि धरना दिया जाता तो सरकार से बातचीत का रास्ता भी खुलता, लेकिन अब स्थिति बिगड़ गई है।

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