जापान का दिया दर्द आज भी नहीं भूला अमेरिका, हजारों सैनिक मार डाले; फिर परमाणु हमले ने बदल दी दुनिया
- आज यानी 7 दिसंबर, 1941 का दिन इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन जापान ने हवाई द्वीप स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर अचानक हमला किया।
दुनिया के इतिहास में ऐसे कई घटनाक्रम हैं जिन्होंने मानव सभ्यता को बदल दिया। इनमें से दो अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाएं हैं - पर्ल हार्बर पर जापान का हमला और अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु हमला। ये दोनों घटनाएं न केवल द्वितीय विश्व युद्ध का केंद्र थीं, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया के राजनीतिक, सैन्य और सामाजिक समीकरणों को भी बदल दिया। पर्ल हार्बर पर हमले के कारण अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुआ और उसके बाद पूरी दुनिया का इतिहास बदल गया।
पर्ल हार्बर पर हमला: युद्ध का एक निर्णायक मोड़
आज यानी 7 दिसंबर, 1941 का दिन इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन जापान ने हवाई द्वीप स्थित अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर अचानक हमला किया। इस हमले में 2,400 से अधिक अमेरिकी मारे गए, और 1,000 से अधिक घायल हुए। जापानी सेना ने इस हमले को "ऑपरेशन एआई" नाम दिया था।
हमले की पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता था। वह चीन, कोरिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों पर कब्जा कर चुका था। अमेरिका जापान की इस विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहा था और उसने जापान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। विशेष रूप से, तेल की आपूर्ति बंद करने का फैसला जापान के लिए बड़ा झटका था। इसके बाद जापान ने अमेरिका को कमजोर करने के लिए पर्ल हार्बर पर हमला करने का फैसला किया।
हमला और परिणाम
सुबह के समय जब अमेरिकी सैनिकों की गतिविधि सामान्य थी, तब जापान ने अपने विमानों के जरिए हमला किया। इस हमले में अमेरिकी नौसेना के 8 युद्धपोत, 300 से अधिक विमान, और कई अन्य नौसैनिक संपत्तियां नष्ट हो गईं। इस घटना ने अमेरिका को सीधे युद्ध में धकेल दिया। 8 दिसंबर 1941 को, अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध एक नए चरण में प्रवेश कर गया।
जापान पर परमाणु हमला: मानवता की विनाशकारी त्रासदी
द्वितीय विश्व युद्ध के अंत की ओर, जब जापान ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया, तब अमेरिका ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया।
हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी
6 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया। इस बम को "लिटिल बॉय" नाम दिया गया था। तीन दिनों बाद, 9 अगस्त, 1945 को दूसरा बम "फैट मैन" नागासाकी पर गिराया गया।
हिरोशिमा में: करीब 1,40,000 लोग तुरंत मारे गए।
नागासाकी में: लगभग 70,000 लोगों की जान गई।
इन बमों की विनाशकारी शक्ति ने लाखों लोगों की जिंदगियां छीन लीं और कई पीढ़ियों तक रेडियोधर्मी विकिरण का प्रभाव रहा।
परिणाम और विश्व पर प्रभाव
15 अगस्त, 1945 को जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ। लेकिन इन हमलों ने मानवता के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया: क्या युद्ध के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न्यायसंगत है?
दुनिया पर व्यापक प्रभाव
शीत युद्ध की शुरुआत: परमाणु बम के इस्तेमाल ने अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शक्ति संघर्ष को बढ़ावा दिया। यह शीत युद्ध की नींव बनी।
परमाणु हथियारों की होड़: देशों ने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए परमाणु हथियार विकसित करने शुरू कर दिए।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: शांति बनाए रखने के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई।
जापान का पुनर्निर्माण: जापान ने युद्ध के बाद सैन्य विस्तार को छोड़कर अपनी अर्थव्यवस्था और तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया।
कहते हैं कि "युद्ध में कोई विजेता नहीं होता, सिर्फ मानवता हारती है।" पर्ल हार्बर पर हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल किया, जबकि जापान पर परमाणु हमले ने इस युद्ध को समाप्त किया। इन घटनाओं ने यह साबित किया कि युद्ध केवल विनाश लाता है। इनसे सीख लेकर आज हमें शांति और सहयोग के रास्ते पर चलने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे विनाशकारी संघर्षों से बचा जा सके।
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