फैज हमीद अकेला नहीं, पहले भी गद्दारी में हो चुके कोर्ट मार्शल; पाकिस्तानी सेना का काला इतिहास
- पाकिस्तानी सेना में कोर्ट मार्शल की सजा पाने वाले फैज अकेले नहीं हैं, इससे पहले भी कई पाक अफसरों को यह सजा मिल चुकी है। जानते हैं पाकिस्तानी सेना का काला इतिहास।
पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई एक बार फिर चर्चा में है। सेना की यह विंग पाकिस्तान ही नहीं दुनियाभर में अपने काले कारनामों को लेकर बदनाम रही है। इस बार पूर्व आईएसआई प्रमुख फैज हमीद को करप्शन और गद्दारी के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। उनके कोर्ट मार्शल की तैयारी की जा रही है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने भी फैज हमीद के कोर्ट मार्शल का स्वागत किया है। इमरान खान सरकार के वक्त फैज हुकूमत के चहेते हुआ करते थे, उनके सेना प्रमुख तक बनने के कयास लग रहे थे लेकिन, अचानक बाजी ऐसी पलटी कि वो अब जेल में अपनी रातें काट रहे हैं। पाकिस्तानी सेना में कोर्ट मार्शल की सजा पाने वाले फैज अकेले नहीं हैं, इससे पहले भी कई पाक अफसरों को यह सजा मिल चुकी है।
जनरल फैज के खिलाफ मामला टॉप सिटी हाउसिंग सोसाइटी से पैसे ऐंठने और अपने पद का दुरपयोग करने का आरोप है। सोसायटी के मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुंवर मोइज खान ने पिछले साल नवंबर महीने में फैज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। फैज हमीद कोर्ट मार्शल की सजा पाने तीसरे पाकिस्तानी जनरल हैं। इससे पहले, सैन्य अदालतों ने एक दो-सितारा और एक तीन-सितारा जनरल को विद्रोह और जासूसी के लिए दोषी ठहराया था।
इसके अलावा आईएसआई के एक अन्य पूर्व महानिदेशक जावेद अशरफ काजी पर लाहौर में रेलवे की भूमि पर रॉयल पाम गोल्फ एंड कंट्री क्लब के संबंध में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन अदालत ने इस मामले को बंद कर दिया और वो कोर्ट मार्शल से बच निकले।
पहले किन अफसरों का कोर्ट मार्शल हुआ
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जावेद इकबाल अवान को फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (एफजीसीएम) द्वारा विदेशी जासूसों के साथ 'गोपनीय जानकारी' साझा करने के लिए दोषी ठहराया गया था। उन्हें 14 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी, लेकिन एक सैन्य अपील अदालत ने उनकी सजा कम कर दी और उन्हें पिछले साल दिसंबर में जेल से रिहा किया गया। जनरल इकबाल को 30 मई 2019 को राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध डालने और विदेशी एजेंसियों के लिए जासूसरी करने का दोषी पाए जाने के बाद जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन वे चार साल बाद जेल से बाहर आ गए।
इससे पहले, मेजर जनरल जहीरुल इस्लाम अब्बासी, ब्रिगेडियर मुस्तनसिर बिल्लाह, दो कर्नल और 38 अन्य सैन्य अधिकारियों को 30 सितंबर को रावलपिंडी स्थित जनरल मुख्यालय में होने वाली कोर कमांडरों की बैठक पर धावा बोलने की साजिश रचने के आरोप में 26 सितंबर 1995 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कथित तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल अब्दुल वहीद कक्कड़, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की हत्या के बाद मेजर जनरल अब्बासी ने इस्लामी शासन की घोषणा करने की भी साजिश रची थी।
इन पाकिस्तानी जनरलों को नौकरी से बर्खास्त किया
कई मामलों में, पाकिस्तानी जनरलों को कोर्ट मार्शल करने के बजाय, सेना ने अनुशासनात्मक कार्यवाही के बाद नौकरी से बर्खास्त किया। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल जियाउद्दीन बट, को सेना ने हिरासत में लिया। उन्हें 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख बनाया था। पूर्व जज एडवोकेट जनरल सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर मोहम्मद वसीफ खान नियाजी के अनुसार, जियाउद्दीन बट का कोर्ट मार्शल नहीं किया गया, बल्कि सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके अलावा 2016 में, तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के कारण जनरल ओबैदुल्ला खट्टक और आईजी एफसी एजाज को नौकरी से बर्खास्त किया।
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