चीन पर टैरिफ की मार, पाक पर सियासी प्रहार; ट्रंप की जीत से भारत को फायदे के आसार
- चीन के साथ टैरिफ के मुद्दों पर खुले तौर पर अपना पक्ष रखने वाले ट्रंप इस मामले में भारत का समर्थन कर सकते हैं। वहीं पाकिस्तान को लेकर भारत शुरुआत से ही आतंकवाद पर का कड़ा रुख चाहता है, ट्रंप की पिछली सरकार के फैसलों को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप सरकार पाकिस्तान पर नकेल कस सकती है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ली है। अमेरिका में ट्रंप के चुने जाने के बाद पूरी दुनिया में कई मुद्दों पर अमेरिकी स्टैंड में बदलाव की उम्मीद है। ट्रंप 2.0 में भले ही टैरिफ का मुद्दा भारत और अमेरिका के बीच में एक कांटा बन सकता है लेकिन इससे इतर बाकी मुद्दों पर अमेरिका के भारत के समर्थन में आने की उम्मीद बनती दिख रही है। चीन के साथ टैरिफ के मुद्दों पर खुले तौर पर अपना पक्ष रखने वाले ट्रंप इस मामले में भारत का समर्थन कर सकते हैं। वहीं पाकिस्तान को लेकर भारत शुरुआत से ही आतंकवाद पर अमेरिका का कड़ा रुख चाहता है, ट्रंप के हालिया और पिछली सरकार के फैसलों को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप सरकार पाकिस्तान पर नकेल कस सकती है।भारत और अमेरिका के संबंधों के विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद दोनों देशों के बीच हालिया समय में जो तनातनी देखी गई है उसमें कमी आने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्रंप की सत्ता में वापसी के लिए बधाई देने में ज्यादा देर नहीं लगाई। पीएम ने एक्स पर ट्रंप को अपना दोस्त बताते हुए चुनावों में ऐतिहासिक जीत पर अपनी शुभकामनाएं दीं। पीएम ने दोनों ही देशों के बीच के ऐतिहासिक और रणनीतिक साझेदारी को और गहरे तक ले जाने के लिए ट्रंप के साथ काम करने की इच्छा जताई। पीएम मोदी और ट्रंप का दोस्ताना ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान दिखाई दिया था, जब अमेरिका में हाउडी मोदी और अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप के जरिए दोनों देशों ने अपने मजबूत रिश्तों की आधारशिला रखी थी।
बांग्लादेश के मुद्दे पर ट्रंप कर सकते हैं भारत का समर्थन
बांग्लादेश के मुद्दे पर ट्रंप की ज्यादा रुचि उनके चुनाव प्रचार के दौरान सामने नहीं आई है। लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालिया परिस्थितियों को लेकर ट्रंप के बयानों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ट्रंप बांग्लादेश में भारत के हितों का समर्थन कर सकते हैं। क्योंकि मुहम्मद यूनुस क्लिंटन फाउंडेशन से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं।
इकॉनामिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर बैठने के बाद दक्षिण एशिया के कई मुद्दों पर अमेरिका की तरफ से बयानबाजी भी बंद हो सकती है। बाइडन प्रशासन के दौरान अमेरिका की तरफ से दिए गए कई बयानों ने भारत के लिए असुविधा की स्थिति को उत्पन्न किया था। ऐसे में भारत के लिए ट्रंप का आना एक सुखद स्थिति हो सकता है। इससे इतर भारत पन्नू के मामले में भी ट्रंप प्रशासन के नजरिए पर भी कड़ी नजर रखेगा।
रक्षा सहयोग में मिलेगा भारत को फायदा
हाल के समय में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग एक मुख्य मुद्दा रहा है। दोनों ही देश अपनी इस साझेदारी से एक दूसरे के करीब आए हैं। क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (icet) पर ऐतिहासिक पहल और जेट इंजन के निर्माण के लिए जीई-एचएएल समझौते जैसे रक्षा सौदे बिडेन प्रशासन के तहत कुछ उपलब्धियां रही हैं। बाइडन प्रशासन के दौरान क्वाड को भी गति मिली है, इन पहलों पर और तेजी आने की उम्मीद है।
ट्रम्प की व्हाइट हाउस में वापसी से भारत को भी फायदा हो सकता है क्योंकि चीन पर नए टैरिफ का वादा उन्होंने पहले ही कर दिया है। चीन और ट्रंप के बीच में टसल से अमेरिकी कंपनियों के चीन से ट्रांसफर होकर भारत आने की उम्मीद भी बढ़ जाती है। पाकिस्तान के आतंकवाद के मुद्दें पर भी ट्रंप प्रशासन भारत के हितों को महत्वता दे सकता है।
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