Hindi Newsविदेश न्यूज़constitution commission proposal to remove secularism and socialism in Bangladesh Muhammad Yunus

बस कुछ दिन और सेक्युलर देश रहेगा बांग्लादेश! संविधान में बड़े बदलावों के आसार

  • शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद अंतरिम सरकार द्वारा गठित आयोग ने देश के लिए द्विसदनीय संसद और प्रधानमंत्री के कार्यकाल को दो अवधि तक सीमित करने का भी प्रस्ताव रखा है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानThu, 16 Jan 2025 06:36 AM
share Share
Follow Us on

बांग्लादेश में संविधान सुधार आयोग ने बुधवार को अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और राष्ट्रवाद के राज्य सिद्धांतों को बदलने का प्रस्ताव दिया गया है।

छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के चलते शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद अंतरिम सरकार द्वारा गठित आयोग ने देश के लिए द्विसदनीय संसद और प्रधानमंत्री के कार्यकाल को दो अवधि तक सीमित करने का भी प्रस्ताव रखा है।

ये तीन सिद्धांत देश के संविधान में 'राज्य नीति के मूलभूत सिद्धांतों' के रूप में स्थापित चार सिद्धांतों में से हैं। नए प्रस्तावों के तहत, केवल एक ‘‘लोकतंत्र’’ को अपरिवर्तित रखा गया है।

आयोग के अध्यक्ष अली रियाज ने एक वीडियो बयान में कहा, 'हम 1971 के मुक्ति संग्राम के महान आदर्शों और 2024 के जनांदोलन के दौरान लोगों की आकांक्षाओं के प्रतिबिंब के लिए पांच राज्य सिद्धांतों- समानता, मानव गरिमा, सामाजिक न्याय, बहुलवाद और लोकतंत्र का प्रस्ताव कर रहे हैं।' यूनुस को प्रस्तुत रिपोर्ट में संविधान की प्रस्तावना में केवल 'लोकतंत्र' को चार नए सिद्धांतों के साथ रखा गया है।

मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की मीडिया इकाई ने एक बयान में रियाज के हवाले से कहा कि आयोग ने द्विसदनीय संसद के गठन की सिफारिश की है जिसमें निचले सदन को नेशनल असेंबली और ऊपरी सदन को सीनेट नाम दिया जाएगा जिसमें क्रमशः 105 और 400 सीटें होंगी।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि प्रस्तावित दोनों सदनों का कार्यकाल संसद के मौजूदा पांच साल के कार्यकाल के बजाय चार साल का होगा। आयोग ने सुझाव दिया है कि निचला सदन बहुमत के आधार पर और ऊपरी सदन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होना चाहिए।

आयोग का कहना ​​है कि पिछले 16 वर्षों में बांग्लादेश के सामने आए 'निरंकुश अधिनायकवाद' का एक मुख्य कारण संस्थागत शक्ति संतुलन का अभाव और प्रधानमंत्री कार्यालय में सत्ता का केंद्रीकरण था। इसने प्रधानमंत्री के कार्यकाल को दो कार्यकाल तक सीमित करने की सिफारिश की।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें