पाकिस्तान में सेना का खूनी तांडव, इमरान खान की रिहाई के आंदोलन को कुचला, हजारों की गिरफ्तारी
- इमरान खान अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं और उनके खिलाफ कई कानूनी मामले चल रहे हैं। इमरान खान की रिहाई को लेकर प्रदर्शनकारी इस्लाबादा की सड़कों पर उतर आए थे।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर इस्लामाबाद में हुए बड़े प्रदर्शन में पुलिस ने लगभग 1 हजार प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। सुरक्षाबलों में शामिल पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को राजधानी के केंद्र में जमा भारी भीड़ को तितर-बितर कर दिया। गौरतलब है कि इमरान खान अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं और उनके खिलाफ कई कानूनी मामले चल रहे हैं। इमरान खान 2018 से 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे है। वह अभी भी पाकिस्तान के एक प्रमुख नेता हैं और जनता के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी गैरमौजूदगी में प्रदर्शन का नेतृत्व उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने किया। बता दें कि बुशरा बीबी हाल ही में जेल से रिहा हुई हैं।
इस्लामाबाद में बेहद बुरे हालात
सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध के बावजूद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी रविवार को इस्लामाबाद पहुंचे। करीब 20,000 सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मोर्चा संभाला। सरकार ने सोमवार को हुई झड़पों में एक पुलिसकर्मी और मंगलवार को चार अर्धसैनिक बल के जवानों की मौत की पुष्टि की। भीड़ ने संसद और प्रधानमंत्री आवास के पास एक सार्वजनिक चौक पर कब्जा करने की कोशिश की। इस दौरान, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल हुआ।
इस्लामाबाद पुलिस के प्रमुख अली नासिर रिजवी ने बताया कि रविवार से मंगलवार तक 954 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 610 को सिर्फ मंगलवार को हिरासत में लिया गया। जेल में बंद इमरान खान ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण और एकजुट बने रहने की अपील की। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इस प्रदर्शन को सरकार के खिलाफ जनता की आवाज बताया। वहीं, प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इन प्रदर्शनों को उग्रवाद करार दिया और सख्ती बरतने का निर्देश दिया। लेकिन जैसे-जैसे प्रदर्शनकारियों को हटाया गया, स्थिति ज्यादा बुरी होने लगी।
क्या इमरान खान को मिला प्रदर्शन का लाभ?
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने इमरान खान और शाहबाज शरीफ की पार्टियों से शांति और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सुरक्षा बलों द्वारा अनुचित और अत्यधिक बल प्रयोग पर चिंता जताई। कुछ जानकारों का कहना है कि यह टकराव न तो सरकार के लिए और न ही इमरान खान की पार्टी पीटीआई के लिए फायदेमंद रहा। इससे देश में बढ़ते राजनीतिक और सामाजिक तनाव का संकेत मिलता है, जो पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहा है।
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