तय है एक और युद्ध? अब सामने खड़ा है मुस्लिमों का 'मसीहा', एक और दुश्मनी बर्दाश्त कर पाएंगे नेतन्याहू?
- मुस्लिम ब्रदरहुड की विचारधारा से प्रेरित माने तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इजरायल के खिलाफ तीखी बयानबाजी पहले से ही शुरू कर दी थी अब दोनों के बीच मोर्चे पर आमने-सामने की लड़ाई की नौबत आ गई है।
मिडिल-ईस्ट में एक और संघर्ष का आसार बनते नजर आ रहे हैं। इजरायल और तुर्किये के बीच लंबे समय से खटास भरे रिश्ते अब सीधी टकराव की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड की विचारधारा से प्रेरित माने तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इजरायल के खिलाफ तीखी बयानबाजी पहले से ही शुरू कर दी थी अब दोनों के बीच मोर्चे पर आमने-सामने की लड़ाई की नौबत आ गई है।
पहले से पनप रहे हैं टकराव के बीच
7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुए गाजा युद्ध ने इजरायल और तुर्किये के संबंधों को और खराब कर दिया। एर्दोगन ने हमास का समर्थन करते हुए इजरायल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। इस्तांबुल में लाखों लोग गाजा के लिए प्रदर्शन करते देखे गए, जहां एर्दोगन ने इजरायल को युद्ध अपराधी करार दिया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और एर्दोगन के बीच पहले भी कड़वाहट रही है, लेकिन इस बार मामला ज्यादा गंभीर दिख रहा है। गाजा युद्ध के दौरान तुर्किये ने न केवल हमास का पक्ष लिया, बल्कि इजरायल के खिलाफ व्यापारिक और राजनीतिक प्रतिबंध भी लगाए।
सीरिया में नई जंग का आगाज
सीरिया में तुर्किये और इजरायल के बढ़ते दखल ने हालात और तनावपूर्ण बना दिए हैं। बशर अल-असद सरकार के गिरने के बाद तुर्किये समर्थित इस्लामी विद्रोहियों और अमेरिकी समर्थित कुर्द समूहों के बीच संघर्ष ने इजरायल और तुर्किये को आमने-सामने ला दिया है। तुर्किये सीरिया में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय है, जबकि इजरायल कुर्द समूहों को समर्थन देकर ईरानी प्रभाव को रोकना चाहता है।
विचारधारा में भी एकदूसरे के खिलाफ हैं एर्दोगन और नेतन्याहू
एर्दोगन के इजरायल विरोधी रुख और नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार की प्रतिक्रियाएं इस विवाद को और भड़का सकती हैं। एर्दोगन ने जहां तुर्किये को मुस्लिम दुनिया का अगुवा बनाने का प्रयास किया है, वहीं नेतन्याहू ने इसे इजरायल की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा करार दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एर्दोगन का रुख यही रहा तो इजरायल-तुर्किये संबंधों में सुधार की संभावना कम है। इजरायल के खिलाफ तुर्किये की जनता में गहरी नकारात्मकता भी संबंध सुधार में बड़ी बाधा है।
क्या हो कर रहेगी जंग?
विश्लेषकों का कहना है कि तुर्किये और इजरायल के बीच सैन्य टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। सीरिया में बढ़ती गतिविधियां और दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास इसे और भड़काने का काम कर सकते हैं। नेतन्याहू के लिए, ईरान समर्थित गुटों को उत्तर सीमा पर रोकना और तुर्किये के बढ़ते प्रभाव का सामना करना बड़ी चुनौती है।
ऐसे में इन परिस्थितियों के बीच मिडिल-ईस्ट में एक और जंग का मैदान तैयार हो रहा है। नेतन्याहू और एर्दोगन के बीच यह संघर्ष न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक कूटनीति पर भी गहरा असर डालेगा। सवाल यह है कि क्या नेतन्याहू मुस्लिमों के 'मसीहा' एर्दोगन के दबाव का सामना कर पाएंगे या फिर यह तनाव युद्ध का रूप लेगा?
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