त्रिपुरा बवाल के बाद बांग्लादेश उच्चायोग पर ताले, सुरक्षा कारणों से सेवाएं अनिश्चितकाल तक ठप
- बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग पर हुए बवाल के बाद सभी वीजा और वाणिज्य दूतावास सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी गई हैं।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग पर हुए बवाल के बाद सभी वीजा और वाणिज्य दूतावास सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी गई हैं। यह फैसला सोमवार को हिंदू संघर्ष समिति के प्रदर्शनकारियों द्वारा सहायक उच्चायोग के सुरक्षा घेरों को तोड़ने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के बाद लिया गया।
क्या हुआ था?
सोमवार को अगरतला के महात्मा गांधी प्रतिमा के पास हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले सामाजिक संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसी दौरान, कुछ प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के कार्यालय में घुसकर कुर्सियां तोड़ दीं, फूलों के गमलों को नुकसान पहुंचाया और राष्ट्रीय ध्वज को खंभे से हटा दिया। त्रिपुरा पुलिस ने इस घटना में शामिल सात प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है और सुरक्षा में चूक के लिए तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, एसएसएफ के एक सहायक कमांडेंट पर भी कार्रवाई की गई है।
सीएम माणिक साहा ने की घटना की निंदा
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने इस घटना की निंदा की और कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन इस तरह की हिंसा अस्वीकार्य है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "शांतिपूर्ण विरोध जारी रह सकते हैं, लेकिन इस तरह का व्यवहार पूरी तरह निंदनीय है।"
वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर खेद व्यक्त किया और सभी बांग्लादेशी उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया। वहीं, बांग्लादेश सरकार ने इसे वियना संधि 1961 का उल्लंघन करार देते हुए भारत सरकार से इस घटना की गहन जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर विरोध जारी
इसी बीच, बांग्लादेश में इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के खिलाफ त्रिपुरा में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। मंगलवार को 'सनातनी युवा' संगठन द्वारा एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भी शामिल हुईं। भौमिक ने कहा, "हम मांग करते हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद हो और चिन्मय प्रभु को बिना शर्त रिहा किया जाए। यह बर्बरता सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और संपत्तियों पर हमला किया जा रहा है।
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