सिर्फ 104 भारतीयों को वापस भेजने में अमेरिका को लग गई करोड़ों की चपत, अभी तो और लगेंगे झटके
- अमेरिकी वायुसेना का एक मालवाहक विमान बुधवार को भारत के अमृतसर में उतरा, जिसमें 104 भारतीय नागरिक सवार थे, जिनपर आरोप है कि वे अवैध रूप से अमेरिका गए थे।
US Deports Indian Migrants: अमेरिका ने अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को देश से निकालना शुरू कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ऐसी कार्रवाइयों में तेजी आई है। पिछले दिनों 104 अवैध प्रवासी भारतीय भी अमेरिका से भारत वापस लौटे। हालांकि, भारतीयों को वापस भेजने में अमेरिका को लंबी रकम खर्च करनी पड़ी है। 104 भारतीयों को अमेरिका से वापस भारत पहुंचाने के लिए ट्रंप सरकार को एक मिलियन डॉलर यानी कि साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा की चपत लग गई। अभी तो अमेरिका को और आर्थिक झटके लगने हैं, क्योंकि अभी बड़ी संख्या में भारतीयों को डिपोर्ट करने की अमेरिका की योजना है। डेटा से पता चलता है कि सैन्य उड़ानें नागरिक उड़ानों की तुलना में तीन गुना अधिक महंगी हो सकती हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने निर्वासन के लिए सैन्य विमानों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जो कि अवैध अप्रवासियों को निकालने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का संकेत देता है। डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़े निर्वासन अभियान को अंजाम देने का अभियान चलाया था, ने मुख्य रूप से लैटिन अमेरिका के प्रवासियों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन कुछ को दूर के देशों में भी वापस भेजा जा रहा है।
अमेरिकी वायुसेना का एक मालवाहक विमान बुधवार को भारत के अमृतसर में उतरा, जिसमें 104 भारतीय नागरिक सवार थे, जिनपर आरोप है कि वे अवैध रूप से अमेरिका गए थे। माना जा रहा है कि यह उड़ान भारत में निर्वासन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैन्य विमान का पहला उदाहरण है। तस्वीरों से पता चलता है कि इस्तेमाल किया गया विमान C-17A ग्लोबमास्टर III था, जो सैनिकों, वाहनों और आपूर्ति के परिवहन के लिए डिजाइन किया गया एक बड़ा सैन्य विमान है। अमेरिकी वायुसेना की एक प्रमुख संपत्ति ग्लोबमास्टर III 1995 से सेवा में है और दुनियाभर में विभिन्न सैन्य अभियानों में तैनात की गई है।
नागरिक उड़ानों की तुलना में सैन्य उड़ानें अधिक महंगी क्यों हैं?
सैन्य उड़ानें कर्मशियल उड़ानों की तुलना में संचालित करने के लिए बहुत अधिक महंगी हैं। इन्हीं सैन्य विमानों का इस्तेमाल आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) भी निर्वासन के लिए करता है। 2021 के ICE डेटा के अनुसार, एक चार्टर उड़ान की लागत $8,577 (लगभग 7.50 लाख रुपये) प्रति उड़ान घंटा है, हालांकि उच्च जोखिम वाले प्रवासियों को ले जाने से लागत बढ़ सकती है। इसके विपरीत, यूएस एयर मोबिलिटी कमांड के दस्तावेजों के अनुसार, परिवहन कार्यों के लिए C-17 सैन्य विमान का उपयोग करने पर प्रति घंटे $28,562 (लगभग 24.98 लाख रुपये) का खर्च आता है।
कमर्शियल विमानों के विपरीत, सैन्य उड़ानें अन्य देशों में हवाई क्षेत्र की संवेदनशीलता के कारण अलग-अलग मार्गों को फॉलो करती हैं और नागरिक हवाई अड्डों के बजाय सैन्य ठिकानों पर ईंधन भरती हैं। फ्लाइट-ट्रैकिंग साइट Flightradar24 के डेटा से पता चलता है कि निर्वासन उड़ान ने सोमवार को 1330 GMT पर सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में मरीन कॉर्प्स एयर स्टेशन मीरामार से उड़ान भरी। इसके बाद विमान पश्चिम की ओर हवाई के लिए उड़ान भरी, प्रशांत महासागर को पार किया, फिलीपींस के पास लूज़ोन जलडमरूमध्य से गुज़रा, इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच से गुजरा और दक्षिण की ओर हिंद महासागर में घूमकर डिएगो गार्सिया, एक दूरस्थ द्वीप पर अमेरिकी हवाई अड्डे पर रुका। वहीं, विमान के वापस आने को भी मिला दिया जाए तो पता चलता है कि अमेरिका ने भारतीयों को वापस भेजने की उड़ान में एक मिलियन डॉलर से अधिक का खर्च किया। यानी कि हर एक व्यक्ति पर 8.74 लाख रुपये खर्च किए गए। वहीं, सैन फ्रांसिस्को से नई दिल्ली तक की एकतरफा वाणिज्यिक उड़ान की लागत इकोनॉमी क्लास में लगभग $500 (43,734) और बिजनेस क्लास में लगभग $4,000 (3.5 लाख) है।
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