ईरान के सारे S-300 ध्वस्त, इजरायली हमलों से खुली रूसी डिफेंस सिस्टम की पोल; भारत के लिए सबक?
- इजरायली हमलों के सामने ईरान का रूसी एस-300 डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित हुआ, जिससे रूसी रक्षा तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष में रूस के अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम एस-300 की कमजोरियां सामने आ रही हैं। इजरायली हमलों के सामने ईरान का रूसी एस-300 डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित हुआ, जिससे रूसी रक्षा तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। यह घटना तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब यूक्रेन युद्ध में भी रूस के एस-300 और एस-400 सिस्टम के कमजोर प्रदर्शन पर पहले ही चर्चा हो रही है। एक समय पर अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम से तुलना की जाने वाली इस प्रणाली की हालिया घटनाओं ने इसकी क्षमता पर संदेह पैदा कर दिया है।
कैसे नाकाम हुआ ईरान का एस-300 सिस्टम?
26 अक्टूबर को हुए इजरायली हमले में लगभग 100 से अधिक विमान शामिल थे, जिन्होंने ईरान के रक्षा ठिकानों पर भारी बमबारी की। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में तेहरान के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड के कई ठिकाने निशाना बने। इन हमलों ने ईरान के रूसी एस-300 डिफेंस सिस्टम की कमजोरी को बेनकाब किया, क्योंकि सिस्टम इजरायली मिसाइलों को रोकने में पूरी तरह विफल रहा। यह दर्शाता है कि इजरायल की खुफिया और संचालन कौशल ने ईरान के रक्षा तंत्र को कमजोर कर दिया, जिससे रूस के इस सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
पड़ेगा दुनिया के बाजारों पर असर
इस घटना के बाद रूस के डिफेंस सिस्टम पर दुनियाभर में अविश्वास का माहौल बन गया है। SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के हथियारों के निर्यात में 2022 से अब तक 52% की गिरावट आई है, जो रूस के हथियार बाजार की स्थिति को दर्शाता है। फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि भारत लंबे समय से रूस पर अपने रक्षा क्षेत्र में निर्भर रहा है... अब भी अब इस मुद्दे पर गंभीर पुनर्विचार कर रहा है। भारत ने 2018 में रूस से 5.4 बिलियन डॉलर की लागत से पांच एस-400 सिस्टम खरीदे थे, जिनकी डिलीवरी में यूक्रेन युद्ध के कारण देरी हो रही है। यह देरी भारत के सुरक्षा मामलों में नई चुनौतियां पेश कर रही है।
क्या है भारत के लिए सबक
भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था में एस-400 को शामिल किया है। हालांकि, भारतीय अधिकारी इजरायली हमलों के बावजूद अपनी रक्षा प्रणाली में विश्वास जताते हैं। भारत अपनी दीर्घकालिक रक्षा रणनीति के तहत स्वदेशी वायु रक्षा तकनीक पर भी काम कर रहा है, ताकि भविष्य में विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम हो सके। इन घटनाओं से भारत को यह सोचने की जरूरत है कि क्या रूसी डिफेंस सिस्टम पर पूरा भरोसा करना सही है या उसे अपने विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
हाल के घटनाक्रम को देखें तो इजरायल के हवाई हमले ने रूस के एस-300 और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं के बाद रूसी रक्षा तकनीक पर वैश्विक स्तर पर अविश्वास का माहौल बन रहा है, जिससे रूस के लिए अपने हथियार बाजार में पकड़ बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। साथ ही साथ भारत के लिए इन हमलों से सबक सीखने की जरूरत है कि क्या उसे रूस के डिफेंस सिस्टम पर भरोसा करना चाहिए।
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