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हिमाचल भवन को अटैच करने के फैसले के खिलाफ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई, सीएम सुक्खू का ऐलान

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार उचित कानूनी उपाय करेगी।

Krishna Bihari Singh लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाTue, 19 Nov 2024 07:13 PM
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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार उचित कानूनी उपाय करेगी। हिमाचल प्रदेश के लिए 64 करोड़ रुपये कोई बड़ी रकम नहीं है। न्यायालय को भी देखने की जरूरत है कि किस नियम और कानून के तहत फैसला दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रदेश और प्रदेशवासियों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार इस मामले की पुरजोर वकालत करेगी। यह परियोजना साल 2009 में कंपनी को प्रदान की गई थी। तत्कालीन ऊर्जा नीति के अनुसार, कंपनी द्वारा विद्युत परियोजना स्थापित करने अथवा इसकी स्थापना में विफल रहने पर राज्य सरकार को भुगतान किए गए अग्रिम प्रीमियम को वापस करने का कोई प्रावधान नहीं था।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि तत्कालीन ऊर्जा नीति के तहत राज्य को प्रति मेगावाट 10 लाख रुपये भुगतान करने का प्रावधान था। प्रतिस्पर्धी बोली के दौरान मैसर्ज मोजर बियर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने न्यूनतम 20 लाख रुपये प्रति मेगावाट की बोली लगाई और 64 करोड़ रुपये का अग्रिम प्रीमियम जमा कराया। कंपनी को इस नीति के प्रावधानों की जानकारी थी। तत्कालीन ऊर्जा मंत्री विद्या स्टोक्स के कार्यकाल के दौरान विधायक के रूप में मैंने नीति को तैयार करने में योगदान दिया था।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि 320 मेगावाट की सेली हाइडल इलेक्ट्रिक परियोजना के संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार, मैसर्ज मोजर बेयर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के बीच 22 मार्च 2011 को त्रिपक्षीय पूर्व कार्यान्वयन समझौता किया गया था। साल 2017 में कंपनी ने परियोजना को वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं बताते हुए परियोजना को सरेंडर कर दिया था। सरकार ने नीति के अनुसार, आवंटन रद्द कर दिया और अग्रिम प्रीमियम राशि को जब्त कर लिया था।

सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए 5000 करोड़ रुपये की रेवड़ियां बांटीं। राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के हितों की मजबूती से रक्षा कर रही है। सरकार अडानी के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष मजबूती से राज्य का पक्ष रखने में सफल हुई नतीजतन प्रदेश सरकार के पक्ष में निर्णय आया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के प्रदेश के पक्ष में नहीं आए निर्णय को पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में चुनौती नहीं दी गई। वर्तमान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के समक्ष मामले की पैरवी की और हाईकोर्ट की डबल बेंच से प्रदेश के पक्ष में फैसला आया जिससे राज्य की 280 करोड़ रुपये की बचत हुई।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जय राम सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान प्रदेश हित के मामलों की लगातार अनदेखी की गई और इन्हें मजबूती से प्रस्तुत नहीं किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान जयराम ठाकुर प्रदेश के हितों को ताक में रखकर फ्रीबीज में व्यस्त रहे और उनकी सरकार प्रशासनिक और कानूनी क्षेत्रों में विफल रही।

रिपोर्ट- यूके शर्मा

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