हिमाचल में रोप-वे से जुड़ेगा चिंतपूर्णी माता मंदिर, हर घंटे 700 लोगों को मिलेगा लाभ
हिमाचल प्रदेश के उना जिले में मौजूद माता चिंतपूर्णी मंदिर के लिए अब रोप-वे सुविधा दिए जाने की योजना है। इसके लिए 76.50 करोड़ रुपये की लागत से 1.1 किलोमीटर लंबे 'रोप-वे' का निर्माण किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित माता चिंतपूर्णी मंदिर तक जाने के लिए अब रोप-वे की सुविधा पर काम शुरू किए जाने की योजना है। इसके लिए 76.50 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 1.1 किलोमीटर लंबे 'रोप-वे' का निर्माण प्रस्तावित है। अधिकारियों ने मंगलवार को एक बयान में कहा गया है कि राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार कुछ मंदिरों तक पहुंच आसान बनाने और मौजूदा बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए उन्हें 'रोप-वे' से जोड़ने पर विचार कर रही है, जिनमें माता चिंतपूर्णी मंदिर भी शामिल है।
अधिकारियों ने कहा कि माता चिंतपूर्णी मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है और इसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। यह आधुनिक परिवहन प्रणाली दोनों ओर से प्रति घंटे 700 यात्रियों को सुविधा प्रदान करेगी। मौजूदा वक्त में मंदिर तक पहुंचने के लिए बाबा माई दास भवन पार्किंग क्षेत्र से एकल-मार्ग सड़क है।
नवरात्रि जैसे धार्मिक अवसरों के दौरान भीड़ लगातार समस्या बनी हुई है और 'रोप-वे' की शुरूआत इन चुनौतियों से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम होगी। बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सालाना पांच करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में धार्मिक पर्यटन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। देवभूमि के रूप में पहचाने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि रोप-वे के निर्माण से पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को एक नया यात्रा अनुभव भी प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस परियोजना की अहमियत को देखते हुए इस पर विशेष जोर दे रहे हैं। उनका मानना है कि चिंतपूर्णी मंदिर का ऐतिहासिक लिहाज से काफी महत्व है। हिमाचल प्रदेश में स्थित शक्तिपीठों में इसका प्रमुख स्थान है। मंदिर को बाबा माईदास भवन पार्किंग क्षेत्र से सिंगल लेन सड़क से जोड़ा गया है।
नवरात्रों के दौरान लोगों को भारी भीड़ और यातायात जाम जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान के लिहाज से रोप-वे की परिकल्पना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रदेश सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति पर भी फिट बैठती है। चिंतपूर्णी मंदिर में इस प्रणाली के स्थापित होने से भीड़ पर नियंत्रण रखने सुविधा होगी। श्रद्धालुओं को सुरक्षित एवं सुगम मार्ग भी उपलब्ध हो सकेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से भी विख्यात है। हर साल शक्तिपीठों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
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