हिमाचल के इस जिले में फैल रही यह घातक बीमारी, 200 से ज्यादा मामले, कैसे करें बचाव?
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के कुछ इलाकों में एक बीमारी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यह बीमारी जुलाई महीने के अंत से फैल रही है। इस बीमारी के 227 मामले सामने आ चुके हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के पधर, जोगिंद्रनगर और लड़भड़ोल में पीलिया का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यह बीमारी जुलाई महीने के अंत से फैल रही है। सिविल हॉस्पिटल जोगिंद्रनगर में इन क्षेत्रों से अभी तक पीलिया के 227 मामले सामने आ चुके हैं। इलाज के बाद कुल 171 मरीजों को घर भेज दिया गया है। वहीं 17 लोग ऐसे हैं जिन्हें उपचार के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज या अन्य बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया गया है।
सिविल हॉस्पिटल जोगिंद्रनगर में अभी भी 37 पीलिया ग्रसित लोग उपचाराधीन हैं। अभी तक पीलिया से चार लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन प्रशासन केवल 2 मौतों को ही काउंट कर रहा है। इनमें दो लोग ऐसे थे जिन्हें पूर्ण रूप से पीलिया ही था। उनकी पीलिया के कारण ही मौत हुई है जबकि बाकी दो लोगों में अन्य बीमारियों के लक्षण भी थे जिससे यह तय नहीं किया जा सकता कि उनकी केवल पीलिया से ही मौत हुई है।
एडीसी मंडी रोहित राठौर ने बताया कि जिला प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में सभी पेयजल स्रोतों की जांच करवाने के साथ ही टैंकों की साफ-सफाई भी करा दी है। पीलिया ग्रसित लोगों की पहचान के लिए टीमों को घर-घर भेजा जा रहा है। इन्होंने लोगों से पीलिया के शुरुआती लक्ष्ण दिखने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान जाकर जांच कराने की अपील की है। साथ ही अपील की है कि बीमार लोग झाड़-फूंक न कराएं। लोगों को बीमार होने पर तुरंत अस्पताल जाने की सलाह दी गई है।
मंडी जिला प्रशासन ने लोगों से बरसात के इस मौसम में अपने स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन, साफ-सुथरे और ताजे खान-पान की सलाह दी है। रोहित राठौर ने कहा कि लोग पीने के लिए उबले हुए पानी का ही इस्तेमाल करें और जितना संभव हो सके बाहर के खाने से परहेज करें। यदि कहीं पर भी किसी जल स्रोत में गड़बड़ी नजर आती है तो तुरंत इसकी सूचना संबंधित विभाग या प्रशासन को दें।
प्रशासन द्वारा पीलिया की रोकथाम के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि इन दिनों सिविल हॉस्पिटल जोगिंद्रनगर में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मंडी से विशेषज्ञ भी जोगिंद्रनगर भेजे जा रहे हैं। कम लक्षण वाले मरीजों को दवाइयां और एहतिआतन सुझाव देकर घर भेज दिया जा रहा है जबकि गंभीर लक्ष्ण वालों को एडमिट करके उपचार दिया जा रहा है।
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