'वेतन देने के भी पैसे नहीं', हिमाचल सरकार ने अमीर लोगों के लिए बंद की यह योजना
चौहान ने कहा कि बिजली बोर्ड बेहद खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है। बोर्ड के पास कर्मचारियों का वेतन देने के लिए भी धन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस फैसले से वित्तीय स्थिति सुधारने की कोशिश की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश में पिछली भाजपा सरकार में शुरू हुई 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना को कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने संपन्न वर्ग के लिए बंद कर दिया है। तीन सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से एक दिन पहले सुक्खू सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाकर 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना पर कई बंदिशे लगा दीं। साथ ही सम्पन्न वर्ग को इस योजना से बाहर कर दिया गया है। इसके पीछे राज्य की आर्थिक स्थिति का हवाला दिया गया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि मुख्यमंत्री/पूर्व मुख्यमंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, सांसदों, पूर्व सांसदों, विधायकों, पूर्व विधायकों, बोर्डों के अध्यक्षों/सलाहकारों, ओएसडी, सरकार/निगमों/बोर्डों के सभी वर्ग-1 और वर्ग-2 के कर्मचारियों जिनमें आईएएस अधिकारी, आईपीएस अधिकारी, एचपीएस अधिकारी, एचएएस अधिकारी, वन अधिकारी, न्यायिक अधिकारी आदि शामिल हैं, सभी सरकारी वर्ग ए और वर्ग बी ठेकेदारों और सभी आयकर दाताओं को मुफ्त बिजली योजना का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि इस श्रेणी में न आने वाले आम लोगों के लिए इस योजना को जारी रखा गया है।
कैबिनेट ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फ्री बिजली बिल के प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने के लिए सब्सिडी को एक परिवार एक मीटर तक सीमित करने और बिजली कनेक्शन को राशन कार्ड (आधार से जुड़े) के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है। यानी एक पात्र परिवार को एक मीटर पर ही फ्री बिजली योजना मिलेगी।
उद्योग व संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार के इस फैसले का आम परिवारों के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सिर्फ आयकर देने वालों को ही मुफ्त बिजली के दायरे से बाहर किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सत्ता से बाहर जाने से पहले 125 यूनिट बिजली का देने की शुरुआत की थी। इसका बोझ पूर्व भाजपा सरकार की जगह मौजूदा कांग्रेस की सरकार पर पड़ा।
चौहान ने कहा कि मौजूदा वक्त में बिजली बोर्ड बेहद खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रहा है। बिजली बोर्ड के कर्मचारियों का वेतन देने तक के लिए भी धन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस फैसले के जरिए वित्तीय स्थिति सुधारने की कोशिश की गई है। बता दें कि सताधारी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले हर घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुक्त बिजली देने का वादा किया था। लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका है।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री व नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार के इस फैसले की ओलाचना करते हुए सुक्खू सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार ने आम जनता को मिलने वाली फ्री बिजली पर कट लगा दिया है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं। भाजपा ने गरीबों के लिए मुफ्त बिजली का प्रावधान किया था, लेकिन सुक्खू सरकार ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के वादे के विपरीत 128 यूनिट फ्री बिजली भी बंद कर दी।
जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने प्रदेश के लोगों को दो हफ्ते पहले ही आगाह कर दिया था कि सरकार फ्री बिजली की सब्सिडी बंद करने जा रही है। बस उप-चुनाव खत्म होने का इंतजार है। आगे चलकर यह सरकार ओपीएस पर भी ऐसा ही करने वाली है। उनका कहना है कि सुक्खू सरकार ओपीएस के मूल ढांचे में बदलाव करके पेंशन के रूप में अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने वाली है। इसके बारे में भी मैंने पहले ही आगाह किया है। सरकार की इस तानाशाह की कीमत उसे चुकानी पड़ेगी। भाजपा इस तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी और कांग्रेस के मनमाने और झूठ बोलने के रवैये के खिलाफ जनान्दोलन करेगी।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
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