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शिमला मस्जिद विवाद में हिंसक प्रदर्शन को लेकर 50 पर FIR; विहिप नेता, पूर्व पार्षद व पंचायत प्रमुख शामिल

  • पुलिस का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन पूर्व नियोजित था। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों को भड़काने वालों की पहचान भी कर ली गई है तथा उनकी हरकतों व आचरण से पता चलता है कि वे किस तरह अपराध में शामिल थे।

Sourabh Jain पीटीआई, शिमला, हिमाचल प्रदेशSun, 15 Sep 2024 11:57 AM
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शिमला के संजौली में बीते सप्ताह एक मस्जिद के अवैध हिस्सों को गिराने की मांग को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शनों में हिंसा को लेकर पुलिस ने VHP नेताओं, पूर्व पार्षदों और पंचायत प्रमुखों समेत कुल 50 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है।

हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के अवैध हिस्से को गिराने की मांग को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने के आरोप में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं, पूर्व पार्षदों और पंचायत प्रमुखों सहित 50 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।

पुलिस के अनुसार 11 सितंबर को हुए इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। जिसमें विरोध कर रहे लोगों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए थे और पथराव किया था, जिसके बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस को पानी की बौछारें चलानी पड़ी थीं और लाठीचार्ज करना पड़ा था। जिसमें पुलिस जवानों और महिलाओं सहित करीब 10 लोग घायल हो गए थे।

इस बारे में जानकारी देते हुए शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि विरोध-प्रदर्शन को भड़काने वाले लोगों का कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकलवा लिया गया है, जिसके आधार पर और भी मामले दर्ज किए जाएंगे।

अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज, वीडियो और तस्वीरें सबूत के रूप में मौजूद हैं, जिनमें लोग हाथों में पत्थर लिए देखे जा सकते हैं और ये पत्थर ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों पर फेंके गए थे। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने अब तक जिन 50 लोगों की पहचान कर आठ मामले दर्ज किए हैं, उनमें विहिप नेता, पंचायत प्रमुख, पूर्व पार्षद और दुकानदारों के अलावा चौपाल और ठियोग इलाके के लोग शामिल हैं।

पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 (1) (धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), 196 (2) (पूजा स्थल पर अपराध), 189 (गैर कानूनी रूप से जमा होना), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 61 (2) (आपराधिक साजिश और हमला), 353 (2) (धर्म के बारे में गलत जानकारी फैलाना), 223 (लोक सेवकों के आदेशों की अवहेलना करना) और 132 (लोक सेवक पर हमला करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

एसपी ने कहा, 'यह शांति भंग करने के लिए पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन था। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों को भड़काने वालों की पहचान कर ली गई है तथा उनकी हरकतों व आचरण से पता चलता है कि वे किस तरह अपराध में शामिल थे।'

इस घटना को लेकर कई वीडियो सामने आए, जिसमें लोग पुलिस पर पत्थर फेंकते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे ही एक वीडियो में एक व्यक्ति को टेम्पो पर खड़े होकर लोगों को BNS की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा तोड़ने के लिए उकसाते हुए देखा गया था।' पुलिस के अनुसार विरोध करने की पहले से अनुमति नहीं ली गई थी। एसपी ने बताया कि विरोध प्रदर्शन में दो पुलिस कर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें से एक की पीठ पर और दूसरे के सिर पर चोटें आई हैं, और इसके लिए दोषी लोगों से कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।

बता दें कि संजौली मस्जिद मुद्दे पर शिमला में तनाव के बीच, पिछले गुरुवार को एक मुस्लिम कल्याण समिति ने मस्जिद के अवैध हिस्से को खुद तोड़ने की पेशकश की है।

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