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संजौली मस्जिद केस: मस्जिद कमेटी के प्रधान की वैधता पर वक्फ बोर्ड का जवाब, 30 नवंबर को आएगा फैसला

याचिकाकर्ता मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त कोर्ट द्वारा संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के फैसले को चुनौती दी है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाFri, 22 Nov 2024 03:49 PM
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राजधानी शिमला के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद को लेकर शुक्रवार को यहां की जिला अदालत में सुनवाई हुई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण शर्मा की अदालत में मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष की वैधता को लेकर वक्फ बोर्ड ने शपथ पत्र दायर किया।

दरअसल याचिकाकर्ता मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त कोर्ट द्वारा संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की वैधता को लेकर सवाल उठाए गए हैं। इस पर अदालत ने वक्फ बोर्ड से मस्जिद कमेटी का रिकार्ड तलब किया था। वक्फ बोर्ड ने अदालत में दायर अपने शपथ पत्र में स्पष्ट किया कि वर्ष 2006 से मोहम्मद लतीफ मस्जिद कमेटी के प्रधान हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला अदालत ने 30 नवम्बर को मामले की अगली सुनवाई तय की है और इसी दिन अदालत याचिका पर अपना फैसला भी सुनाएगा।

वक्फ बोर्ड के वकील ने अदालत में कहा कि सेक्शन 18 के तहत वक्फ बोर्ड ने मोहमद लतीफ को मस्जिद कमेटी का प्रधान बनाया है और उन्हें प्रधान के तौर पर अधिकार प्राप्त हैं। वक्फ बोर्ड के अधिकारी कुतुबुद्दीन ने पत्रकारों से अनुपचारिक बातचीत में कहा कि अदालत में जवाब दिया गया है कि वर्ष 2006 से मोहमद लतीफ मस्जिद कमेटी के प्रधान है और वक्फ एक्ट के अनुसार मोहमद लतीफ मस्जिद प्रधान के तौर पर अधिकृत हैं।

वहीं मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अधिवक्ता विश्व भूषण ने बताया कि वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में दिए जवाब में मोहम्मद लतीफ़ के मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष होने की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि वक्फ के एक्ट के अनुसार पांच साल तक ही अध्यक्ष अपने पद पर रह सकता है। इस पर अदालत को बताया गया कि क्या 2006 में बनाया मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष 18 साल तक चलता रहा और उसे वर्ष 2006 के बाद बदला क्यों नहीं गया।

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को तय की और इस तारीख को ही जिला अदालत याचिका पर अपना फैंसला सुनाएगा। गौरतलब है कि संजौली की इस विवादित मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बीते पांच अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने सुनवाई करते हुए मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध ठहराया और मस्जिद कमेटी को इन्हें ध्वस्त करने के आदेश दिए। इन आदेशों की अनुपालना करते हुए मस्जिद कमेटी ने अवैध हिस्से को गिराने का काम चला रखा है और मस्जिद का छत हटा दिया गया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम कोर्ट को इस मामले को जल्द निपटाने के आदेश दिए हैं। दो दिन पहले नगर निगम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड से बाकी दो मंजिलों की स्थिति बारे जवाब तलब किया है। नगर निगम ने मस्जिद की ग्राउंड और पहली मंजिल के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा है।

मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर हुआ था बवाल, हिन्दू सँगठनों ने किया प्रदर्शन

संजौली मस्जिद विवाद बीते सितंबर महीने से लगातार चर्चा में है। इस मामले को लेकर शिमला में हिंदू समाज के लोग इकट्ठा होकर मस्जिद तोड़ने के लिए आंदोलन किए। बीते 11 सितंबर को संजौली में हुए उग्र प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ मस्जिद स्थल के समीप आ गए थे। इन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी। इस दौरान पुलिस कर्मियों सहित कई लोग जख्मी हुए थे।

यह विवाद तब सामने आया जब मल्याणा क्षेत्र में विक्रम सिंह नाम के एक स्थानीय शख्स के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी। इस मारपीट को लेकर विक्रम ने ढली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप है कि मारपीट को अंजाम देकर आरोपित मस्जिद में छिप गए। इसके बाद हिंदू संगठनों ने संजौली मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया और अवैध बताकर मस्जिद को गिराने की बात कही। देखते ही देखते ये मामला और तूल पकड़ लिया।

रिपोर्ट : यूके शर्मा

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