ड्रग्स की होम डिलीवरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, दिल्ली समेत अन्य शहरों से 16 आरोपी गिरफ्तार
- शाह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करके स्थानीय संपर्कों के जरिए मादक पदार्थों के आर्डर लेता था। इसके बाद उनसे वॉट्सएप कॉल के जरिए बात होती थी।
हिमाचल प्रदेश की शिमला पुलिस ने ग्राहकों के घरों के पास तक बिना मिले ड्रग सप्लाई करने वाले एक ऑनलाइन ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। यह ड्रग गिरोह दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सक्रिय था। इस ड्रग्स तस्कर गिरोह का खुलासा दिल्ली और कोलकाता में रहने वाले दो आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद हुआ।
इस बारे में जानकारी देते हुए शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी ने बताया कि, यह गिरोह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘ऑनलाइन बुकिंग’ लेता था और बेहद आसानी से तस्करी को अंजाम देता था। उन्होंने कहा कि इसके लिए मासूम लोगों के खातों का दुरुपयोग किया जा रहा था और कूरियर के जरिए मादक पदार्थ की डिलीवरी की जा रही थी।
गांधी ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में कोलकाता से अंतर्राज्यीय ड्रग्स गिरोह के सरगना संदीप शाह की गिरफ्तारी के बाद इस गिरोह के काम करने के तरीके का खुलासा हुआ। शाह अंतर्राज्यीय ड्रग नेक्सस के जरिए चिट्टा (मिलावटी हेरोइन) की तस्करी कर रहा था। शाह की गिरफ्तारी के बाद दक्षिण दिल्ली के महरौली से उसके करीबी सहयोगी नीरज कश्यप को भी गिरफ्तार किया गया।
कोलकाता का रहने वाला शाह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करके स्थानीय संपर्कों के जरिए मादक पदार्थों के आर्डर लेता था। इसके बाद उनसे वॉट्सएप कॉल के जरिए बात होती थी और मासूम लोगों के खातों का दुरुपयोग करके यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से दिल्ली में उनके सहयोगियों के खातों में रुपए जमा किए जाते थे।
इसके बाद ग्राहक से किसी तरह की सीधी मुलाकात किए बगैर ही उसके घर के पास ही मादक पदार्थ पहुंचा दिया जाता था।
इस तरह बिना मिले की जाती थी होम डिलीवरी
गांधी ने कहा, ‘इस संदिग्ध धंधे में लगभग 500 लोग शामिल हैं और तस्वीरों एवं अन्य विवरणों के माध्यम से स्थान की पुष्टि करने के बाद ही ड्रग्स की डिलीवरी की जाती है। पेमेंट हो जाने के बाद ग्राहक को वो सटीक लोकेशन दी जाती हैं जहां ड्रग्स को रखा गया होता है।’
पुलिस ने बताया कि हेरोइन की खपत योग्य मात्रा 5 ग्राम है, जबकि व्यावसायिक मात्रा 250 ग्राम है। ऐसे में सजा से बचने के लिए चिट्टा की तस्करी ज्यादातर बार उपभोग योग्य मात्रा में की जाती है, क्योंकि खपत योग्य मात्रा के साथ पकड़े जाने पर जो मामला दर्ज होता है, वह जमानत योग्य होता है।
लत लगने पर दूसरों को भी गिरोह में शामिल करने लगता ग्राहक
पुलिस ने बताया कि चार हजार से छह हजार रुपए प्रति ग्राम बिकने वाली इस ड्रग्स का नशा करने वाले व्यक्ति को जब इसकी लत लग जाती है और जब वह इसे खरीदने में असमर्थ हो जाता है। तो वह अन्य लोगों को गिरोह में शामिल करने लगता है इस प्रकार तस्करों की एक श्रृंखला बन जाती है। गांधी ने कहा कि हमारा ध्यान ड्रग तस्करों के नेटवर्क को निशाना बनाकर मांग पर प्रहार करने पर है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 21 (निर्मित दवाओं और तैयारियों के संबंध में उल्लंघन के लिए दंड), 29 (उकसाना) एनडीपीएस अधिनियम और बीएनएस (संगठित अपराध) अधिनियम की धारा 11 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस गिरोह के खुलासे के बाद पुलिस अब तक शाह, उसके करीबी सहयोगी और पुलिस के एक कांस्टेबल सहित कुल 16 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
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