दिवाली के बाद हांफने लगा हिमाचल, एक जगह तो AQI पहुंचा 392; शिमला-मनाली में कैसी आबोहवा
- हिमाचल में इस बार दो दिन गुरूवार और शुक्रवार को दिवाली मनाई गई। इसका असर राज्य की वायु गुणवत्ता पर पड़ा है। इस बार राज्य का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 140 पहुंच गया, जो पिछले साल 92 था।
दिवाली के बाद कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। दिल्ली का तो बुरा हाल है। लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी हवा की सेहत काफी बिगड़ गई है। दरअसल, हिमाचल में इस बार दो दिन गुरूवार और शुक्रवार को दिवाली मनाई गई। इसका असर राज्य की वायु गुणवत्ता पर पड़ा है। इस बार राज्य का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 140 पहुंच गया, जो पिछले साल 92 था। इस तरह दिवाली के बाद पिछले साल से इस बार डेढ़ गुणा ज्यादा प्रदूषण हुआ। सामान्य दिनों में राज्य में वायु गुणवत्ता सूचकांक 52 रहता है। वहीं बद्दी में एक्यूआई 392 तक पहुंच गया है।
बद्दी में 392 पहुंचा एक्यूआई
पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रहे बड़े ओद्योगिक शहरों की हवा जहरीली हो गई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिला सोलन के ओद्योगिक शहर बद्दी की हवा सबसे अधिक प्रदूषित हुई है। बद्दी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 392 पहुंच गया, जो बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है और इससे सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। सोलन के ही परवाणू में वायु सूचकांक 217 रहा। यह भी खराब श्रेणी में माना जाता है। इसके अलावा सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में 145, सोलन के बरोटिबाला में 139, नालागढ़ में 128, ऊना में 122, सुंदरनगर में 104 और डमटाल में 98 रहा।
शिमला में सुधरा दिवाली पर प्रदूषण का स्तर
वहीं हिल्स स्टेशन की बात करें तो मनाली की आबोहवा भी खराब हो गई है। शिमला की तुलना में मनाली और धर्मशाला में ज्यादा प्रदूषण रहा। शिमला का वायु गुणवत्ता सूचकांक जहां 66 रहा, वहीं मनाली में 80 और धर्मशाला में 109 पहुंच गया। अच्छी बात यह है कि शिमला में पिछले साल से कम प्रदूषण दर्ज किया गया। शिमला के वायु गुणवत्ता सूचकांक में काफी सुधार आया है। पिछले साल दिवाली के बाद शिमला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 78 था, जो इस साल घटकर 66 रहा गया। जबकि मनाली में पिछले साल वायु सूचकांक 55 था, जो अब 80 पहुंच गया। हालांकि यह संतोषजनक श्रेणी में है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण धुएं वाले पटाखे हैं। इसके अलावा आतिशबाजी और स्काई शार्ट से भी हवा की गुणवत्ता खराब हुई है। उन्होंने बताया कि 0 से 50 वायु गुणवत्ता सूचकांक पर्यावरण के लिहाज से अच्छा माना जाता है। 51 से 100 तक संतोषजनक व कम असर, 101 से 200 तक मध्यम श्रेणी में गिना जाता है और इससे फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। 201 से 300 तक खराब श्रेणी और 301 से 400 तक वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। इससे सांस की बीमारी का खतरा होने की आशंका रहती है। 401 से 500 के स्तर को गंभीर माना जाता है।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
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