Hindi Newsहरियाणा न्यूज़Who was Muslim ruler Hasan Khan Mewati why BJP seeking votes in Haryana on his name what is Mewat Politics

कौन था मुस्लिम शासक हसन खान मेवाती, उसके नाम पर भाजपा हरियाणा में क्यों मांग रही वोट?

Haryana Politics: मेवात का इलाका हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच फैला हुआ है। तीनों प्रदेशों में फिलहाल BJP का शासन है लेकिन इन इलाकों में बसने वाली अधिकांश मुस्लिम आबादी को भाजपा विरोधी समझा

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 15 May 2024 09:58 PM
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Muslim and Mewat Politics: पिछले साल जुलाई के आखिर में हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें दो पुलिसकर्मियों समेत कुल 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद मेवात के इस इलाके में कई दिनों तक कर्फ्यू लगाया गया था। हिंसा की शुरुआत विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के धार्मिक जुलूस के दौरान हुई थी। इस हिंसा की वजह से इलाके में हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच वैमनस्यता की खाई चौड़ी हो गई थी। 

हालांकि, राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस साल 9 मार्च को नूंह पहुंचकर सब कुछ पटरी पर लाने की कोशिश की। उन्होंने तब राजा मेवाती की प्रतिमा का अनावरण किया था और उस दिन को शहीदी दिवस का दर्जा दिया था। खट्टर के बाद उनके उत्तराधिकारी और राज्य को मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सेनी पिछले दिनों नूंह के पुन्हाना में एक चुनावी रैली को संबोधित करने आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा, "मैं भारत माता के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले हसन खान मेवाती को प्रणाम करता हूं।" 

केंद्रीय मंत्री और गुड़गांव से लोकसभा सीट के भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह के चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने 16वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक रहे राजा हसन खां मेवाती उर्फ राजा मेवाती की जमकर तारीफ की। उन्होंने नूंह को पवित्र भूमि बताते हुए कहा कि हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि राजा मेवाती ने बाबर की विशाल सेना के सामने कभी सिर नहीं झुकाया और अपने 12000 सैनिकों के साथ जंग लड़ते हुए शहीद हुए। सैनी ने पिछले मुख्यमंत्री यानी खट्टर द्वारा बड़कली चौक पर 9 मार्च को शहीजी दिवस मनाने का भी जिक्र किया और यह कहने की कोशिश की कि भाजपा राजा मेवाती की शहादत का सम्मान करने वाली पार्टी है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब किसी हिन्दूवादी नेता ने हसन खान मेवाती की तारीफ की हो। 2015 में भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राजस्थान के भरतपुर में राजा मेवाती की प्रशंसा की थी। संघ प्रमुख ने तब मेवाती को भारत माता का सच्चा सपूत बताया था और कहा था कि हसन खान मेवाती ने बाबर की सेना में शामिल होने का न्योता ठुकरा दिया था।  उन्होंने मेवात के मुसलमानों से तब मेवाती जैसा देशभक्त बनने की अपील की थी।

कौन था हसन खान मेवाती?
राजा हसन खां मेवाती 16वीं सदी में मेवाड़ का शासक था। उसने 1526 में हुई पानीपत की लड़ाई में मुगल शासक बाबर के खिलाफ जंग लड़ी थी। इसके अलावा 1527 में हुए खानवा के युद्ध में भी मुगल सेना के खिलाफ हथियार उठाए थे। इसी युद्ध में लड़ते हुए वो वीरगति को प्राप्त हुए थे। राजा हसन खां मेवाती अलवर के शासक अलावल खां का पुत्र था। अलावल खां सांभरपाल की तीसरी पीढ़ी में हुआ था। हसन खां का नाता दिल्ली सुल्तान से भी था। वह इब्राहिम लोदी का मौसेरा भाई था। इब्राहिम लोदी के पिता सिकन्दर लोदी एवं अलावल खां आपस में साढ़ू भाई थे। हसन खां अत्यन्त शूरवीर, साहसी, निडर एवं महत्वाकांक्षी शासक था।

1517 में जब इब्राहिम लोदी दिल्ली के सिंहासन पर बैठा तो मेवात के वे सात परगने जो हसन खां के पिता अलावल खां से छिन गये थे उनको इब्राहिम लोदी ने लौटा दिये और उन्हें ‘शाह’ की उपाधि से सम्मानित किया था। इस प्रकार राजा हसन खां मेवाती का राज्य अलवर से लेकर दिल्ली तक फैला हुआ था, जिसमें तिजारा, सरहटा, कोट कासिम, फिरोजपुर, कोटला, रेवाड़ी, तावड़ू, झज्जर, सोहना, गुड़गांव, बहादुरपुर, शाहपुर तथा समस्त मेवात का क्षेत्र आते थे।

आज इतनी चर्चा क्यों?
दरअसल, राजा मेवाती की चर्चा आज मेवात की राजनीति के कारण हो रही है। मेवात का इलाका हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच फैला हुआ है। तीनों प्रदेशों में फिलहाल भाजपा का शासन है लेकिन इन इलाकों में बसने वाली अधिकांश मुस्लिम आबादी को भाजपा का विरोधी समझा जा रहा है। इसलिए भाजपा खासकर हरियाणा बीजेपी के नेता मेवात इलाके की नूहं बेल्ट में लगातार राजा मेवाती की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। ताकि उनकी देशभक्ति के किस्सों के बहाने मेवात खासकर नूंह के मुस्लिम मतदाताओं को समर्थन हासिल किया जा सके।

बीजेपी मार्च से ही इस कोशिश में लगी है कि पिछले साल के दंगों का दाग धोया जाय। इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर शहीद हसन खान मेवाती राजकीय मेडिकल कॉलेज में हसन खान मेवाती के नाम पर एक शोध पीठ की स्थापना की भी घोषणा कर चुके हैं। हालांकि, इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना कांग्रेस सरकार में हुई थी। 

नूंह में 79 फीसदी मुसलमान
बता दें कि हरियाणा में मुस्लिम आबादी भले ही 7 फीसदी हो लेकिन नूंह में 79 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इसीलिए भाजपा इस इलाके के मुस्लिमों के बीच जा रही है।  नूंह जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना। तीनों विधानसभा सीटें गुड़गांव लोकसभा के अंदर आती हैं और इन तीनों ही सीटों पर फिलहाल कांग्रेस के मुस्लिम विधायक  हैं। ये सभी विधानसभा सीटें गुड़गांव लोकसभा सीट के तहत आती हैं, जहां से 2009 से लगातार राव इंद्रजीत सिंह जीतते आ रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के राज बब्बर से है।

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