हरियाणा सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने परिवार पहचान पत्र अनिवार्य नहीं, स्वैच्छिक करने को कहा
- हरियाणा में दाखिल किए गए आंशिक जवाब में कहा गया है कि जल्द ही इस पर कार्ययोजना तैयार कर हाईकोर्ट को बताया जाएगा कि किन सेवाओं के लिए पी.पी.पी. की अनिवार्यता होगी और किन सेवाओं को इसके बगैर भी लिया जा सकेगा।
हरियाणा की बीजेपी सरकार की फ्लैगशिप योजना परिवार पहचान पत्र (पी.पी.पी.) पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने ग्रुप डी की भर्ती से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पी.पी.पी. को सभी सेवाओं के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता, बल्कि यह स्वैच्छिक होना चाहिए। जस्टिस सिंधु ने प्रदेश सरकार से इस पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इसमें बताना होगा किन सेवाओं में इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि बिजली, पानी और शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाओं के लिए इसे अनिवार्य दस्तावेज नहीं मान सकते।
हरियाणा में दाखिल किए गए आंशिक जवाब में कहा गया है कि जल्द ही इस पर कार्ययोजना तैयार कर हाईकोर्ट को बताया जाएगा कि किन सेवाओं के लिए पी.पी.पी. की अनिवार्यता होगी और किन सेवाओं को इसके बगैर भी लिया जा सकेगा। हालांकि, प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया कि जिन सेवाओं में राज्य के राजस्व का वहन होता है, उनमें अनिवार्य किया जाएगा। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि ग्रुप डी की भर्ती में पी.पी.पी. की जानकारी के आधार पर आवेदन खारिज कर दिया गया था जबकि पोर्टल पर पिछड़ा जाति प्रमाणपत्र भी अपलोड किया गया था।
'करोड़ों लोगों ने राहत की सांस ली, माफी मांगे खट्टर-नायब सैनी'
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने हरियाणा की खट्टर व नायब सिंह सैनी सरकारों द्वारा प्रदेश के करोड़ों लोगों के साथ पिछले 6 साल से पी.पी.पी. (परिवार पहचान पत्र) के नाम पर की जा रही जोर धक्काशाही के लिए राज्य के सी.एम. नायब सिंह सैनी और पूर्व सी.एम. मनोहर लाल खट्टर द्वारा तत्काल बिना शर्त माफी की मांग की है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा इस तुगलकी योजना के जरिए पी.पी.पी. को अनिवार्य करने की बाध्यता को हटाए जाने पर प्रदेश के करोड़ों लोगों ने राहत की सांस ली है। सुर्जेवाला ने कहा कि वे आरंभ से ही इस योजना का सक्रिय विरोध करते आए हैं क्योंकि राज्य सरकार हर सेवा के लिए पी.पी.पी. को अनिवार्य दस्तावेज बनाने पर तुली हुई थी। यहां तक कि पेयजल कनैक्शन, स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली, और अन्य मूलभूत जरूरतों के लिए भी यह दस्तावेज ऐच्छिक की बजाय अनिवार्य कर दिया गया। सुर्जेवाला ने कहा कि वास्तव में पी.पी.पी. योजना परिवार परेशानी योजना और परमानैंट परेशानी योजना साबित हुई है। इसके कारण न केवल लाखों लोग महीनों तक लाइनों में खड़े रहने को मजबूर हुए, बल्कि इससे हर कदम पर प्रदेशवासियों से भ्रष्ट कर्मचारियों व अधिकारियों ने करोड़ों रुपए की लूट की। इसके लिए सीधे खट्टर और नायब सैनी दोषी हैं, और उनसे तत्काल प्रदेश की जनता से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है।
क्या है परिवार पहचान पत्र
हरियाणा सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाने के लिए परिवार पहचान पत्र योजना शुरू की थी। सीएम मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में इसे शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के हर परिवार को 8 अंकों की एक विशिष्ट आईडी देना है ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का डाटा सरकार के पास दर्ज रहे। इसी डाटा के आधार पर सरकार पात्र लोगों को योजनाओं का लाभ प्रदान करती है। हालांकि, योजना में तकनीकी खामियों और डेटा त्रुटियों के कारण कई लोगों को सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। लोगों ने शिकायत की थी कि पीपीपी डेटा में दर्ज गलत जानकारी, दस्तावेजों में त्रुटियां या सिस्टम में देरी से अपडेट होने के कारण उन्हें योजनाओं और सरकारी नौकरियों में परेशानी आ रही है।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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