पोस्टल बैलट में 76 सीटों पर कांग्रेस की थी बढ़त, हरियाणा में हार के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने तोड़ी चुप्पी
- हरियाणा की हार पर चुप्पी तोड़ते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उम्मीदवारों द्वारा ईवीएम को लेकर भी बातें आ रही हैं। पोस्टल बैलट में 90 में से 76 सीटों पर कांग्रेस की बढ़त थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बुरी तरह हारने के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के चुनाव के नतीजों पर सभी अचंभित हैं। उम्मीदवारों द्वारा ईवीएम को लेकर भी बातें आ रही हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। पोस्टल बैलट में 90 में से 76 सीटों पर कांग्रेस की बढ़त थी। सारे सर्वे और धरातल की सारी रिपोर्ट में कांग्रेस की बढ़त दिखाई दे रही थी, लेकिन कहीं न कहीं जिस प्रकार से प्रक्रिया रही है, उस पर सवालों का चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों का हम गहराई से विश्लेषण कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा के छल-कपट के बावजूद भी कांग्रेस ने भाजपा के बराबर मत प्रतिशत हासिल किया है। सांसद ने कहा कि लगभग 20 विधानसभा क्षेत्रों से ईवीएम को लेकर भी बातें सामने आ रही हैं। ईवीएम को लेकर हमने चुनाव आयोग के सामने बातें रखी हैं। चुनाव आयोग के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। प्रजातंत्र में हमारी जो भूमिका रहेगी, हम उसे अच्छे से निभाएंगे। प्रदेश के लोगों की आवाज उठाने का काम करेंगे।
हार के बाद हुड्डा फैमिली को निशाने पर
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का जिम्मेदार भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा को ठहराया जा रहा है। असंध विधानसभा सीट हारे पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने हुड्डा पिता-पुत्र पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस हारती नहीं, लेकिन चुनाव तो हुड्डा कांग्रेस लड़ रही थी और वह हार गए। उन्होंने किसी को विश्वास में नहीं लिया। गोगी ने कहा कि हुड्डा ने पार्टी के अंदर संवादहीनता पैदा की थी। अगर चुनाव सही तरीके से लड़े जाते तो इस बार कांग्रेस की सरकार बनती, लेकिन हार की पूरी जिम्मेदारी बापू-बेटे की है। वहीं, अंबाला कैंट सीट से कांग्रेस उम्मीदवार परविंदर पाल परी ने भी यही आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मुझे चुनाव में हराया गया। पार्टी ने ही साजिश के तहत बागी उम्मीदवार उतारकर मुझे हरवाया। हमें लगता है कि अगर कुमारी शैलजा समय पर आतीं तो चुनाव के नतीजे कुछ और होते। एक निर्दलीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया और उसे भूपिंदर और दीपेंद्र का समर्थन मिला। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव ने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में प्रभारी और कांग्रेस प्रेसिडेंट के बीच कोई तालमेल नहीं था। अध्यक्ष खुद चुनाव लड़ रहा था तो उसका ध्यान ही नहीं था। सिर्फ वही हुआ, जो चार लोगों ने चाहा।
भूपेंद्र हुड्डा की मुश्किलें बढ़ीं
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कांग्रेस नेतृत्व नाराज है। कहा जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वास्तविक स्थिति को लेकर नेतृत्व को अंधेरे में रखा। हरियाणा को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष के घर कल हुई बैठक में भूपेंद्र हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को बैठक में नहीं बुलाया गया। इस चुनाव में हार बाद से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को चुनाव में टिकट बंटवारे में खुली छूट दी थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि फिर भी कांग्रेस बहुमत हासिल क्यों नहीं कर पाई?
रिपोर्ट: मोनी देवी
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