Hindi Newsगुजरात न्यूज़Why Bilkis Bano case convict out on parole a fortnight after surrender

सरेंडर करने के 15 दिन बाद ही जेल से बाहर आया बिलकिस बानो का दोषी, हाईकोर्ट से मिली पैरोल

न्यायमूर्ति एम आर मेंगडे की अदालत ने प्रदीप मोधिया को 7 से 11 फरवरी तक पैरोल की अनुमति दी थी। 31 जनवरी को दायर अपनी याचिका में, मोधिया ने अपने ससुर की मृत्यु के कारण 30 दिन की पैरोल की मांग की थी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, दाहोदFri, 9 Feb 2024 08:02 AM
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बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों के 21 जनवरी को गोधरा उप-जेल में सरेंडर किया था। सरेंडर करने के 15 दिन बाद दोषियों में से एक, प्रदीप मोधिया अपने ससुर की मृत्यु के बाद बुधवार को दाहोद जिले के अपने पैतृक गांव रणधीकपुर लौट आया। प्रदीप मोधिया को गुजरात हाईकोर्ट ने पांच दिन की पैरोल दी है।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति एम आर मेंगडे की अदालत ने 5 फरवरी को अपने फैसले में प्रदीप मोधिया को 7 से 11 फरवरी तक पैरोल की अनुमति दी थी। 31 जनवरी को दायर अपनी याचिका में, मोधिया ने अपने ससुर की मृत्यु के कारण 30 दिन की पैरोल की मांग की थी। सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि जेल रिकॉर्ड के अनुसार, जब मोधिया को आखिरी बार पैरोल पर रिहा किया गया था तो वह "समय पर वापस लौट आया था" और जेल में भी उसका आचरण "अच्छा बताया गया था"।

रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार सुबह मोधिया को स्थानीय निवासियों ने रंधिकपुर बाजार में काम करते देखा। एक ग्रामीण ने कहा, "उनके ससुर का जनवरी के आखिरी सप्ताह में रणधीकपुर से लगभग 32 किमी दूर लिमडी में निधन हो गया... वह बुधवार देर रात गांव आए थे और गुरुवार को बाहर निकले।"

गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। साथ ही दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया। 

इसके बाद बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों ने 21 जनवरी को देर रात गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा उप जेल में सरेंडर कर दिया था। स्थानीय अपराध शाखा निरीक्षक एनएल देसाई ने कहा कि सभी 11 दोषियों ने रविवार देर रात जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वे 21 जनवरी की आधी रात से पहले जेल पहुंच गए जो उनके लिए आत्मसमर्पण करने के लिए निर्धारित समय सीमा थी। 

बता दें कि घटना के वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था। दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को सजा में छूट दे दी थी और उन्हें रिहा कर दिया था। पीठ ने कहा, ''हम गुजरात सरकार द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग करने के आधार पर सजा में छूट के आदेश को रद्द करते हैं।''

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