जब मलबे से आने लगीं आवाजें... नींद, मौत और दहशत से भरी सूरत हादसे की पूरी कहानी
सूरत इमारत हादसे को 12 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है। मलबे में अभी भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।
कुछ लोग काम पर गए हुए थे और कुछ लोग सो रहे थे, तभी एक जोरदार आवाज आई और पूरी इमारात धराशाई हो गई। दमकल की गाड़ियां और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और राहत बचाव कार्य शुरू किया। हादसा शनिवार दोपहर 3 बजे के करीब हुआ। 12 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है। 7 लोगों के शव मलबे से निकाल लिए गए हैं जबकि कुछ अन्य लोगों के अभी भी मलबे में फंसे होने की आशंका है। ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है। दमकल विभाग और पुलिस के साथ एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी रेस्क्यू में जुटी हुई हैं।
जानकारी के मुताबिक मलबे में फंसी एक औरत को सही सलामत बचा लिया गया है। मलबे से बाहर निकालने के बाद उसे तुरंत न्यू सिविल अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि रेसक्यू ऑपरेशन में जुटी टीम को मलबे के नीचे से औरत के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी जिसके बाद मलबे को तुरंत हटाया गया और महिला को बाहर निकाला गया। घटना सूरत के जीआईडीसी इलाके की है। सूरत के पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने शनिवार को बताया कि इमारत का निर्माण 2016-17 में किया गया था। उन्होंने बताया कि इमारत के करीब पांच फ्लैट में लोग रहते थे, जिनमें से अधिकतर उस क्षेत्र में बने कारखानों में काम करते थे।
मलबे के नीचे से सुनाई दी लोगों की आवाजें
पुलिस ने बताया कि जब रेसक्यू ऑपरेशन शुरू किया गया तब उन्हें मलबे से कई लोगों की आवाजें सुनाई दी। टीमों नें बगैर देरी किए राहत बचाव कार्य शुरू किया और जल्द ही एक महिला को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इसके बाद रातभर ऑपरेशन चला और एक-एक कर 7 लोगों के शव बाहर निकाले गए। जानकारी के मुताबिक इमारत के धराशाई होने के बाद चीख पुकार मच गई और आसपास रहने वाले लोग मदद के लिए दौडे़। एएनआई के मुताबिक इमारत के अंदर 30 फ्लैट थे जिनमें से 4 में लोग रह रहे थे और बाकी खाली थे।
हादसे के वक्त कई लोग काम पर थे और जो घर पर थे वह सो रहे थे। इसी कारण जब इमारत गिरी तो वह मलबे में फंस गए। बताया जा रहा है कि फ्लैटों में रहने वाले ज्यादातर वह लोग थे जो उस क्षेत्र में बने कारखानों में काम करते थे। इस हादसे से लोग अब भी दहशत में है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि इमारत जर्जर हो चुकी थी और लोग रिस्क लेकर वहां रह रहे थे।
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