'रंग प्रिया प्रीतम का और रंगरेजी गुरुदेव', श्री प्रेमानंद जी महाराज
वृन्दावन धाम के सुप्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने भी अपने श्री हित राधा केली कुंज आश्रम के संतों व साधकों के साथ प्रिया-प्रीतम को रंग लगाकर हो
भारत के सबसे रंगीन और उत्सवपूर्ण त्योहारों में से होली सबसे जीवंत और आनंदमय उत्सवों में से एक है, जिसे रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। ब्रज की होलीजगत्प्रसिद्ध है, जिसका आनंद लेने के लिये सम्पूर्णविश्व से लोग ब्रज-वृन्दावन में आते हैं । पौराणिक कथाओं पर आधारित और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भरपूर, ब्रज की होली स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक अनूठा और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है।
वृन्दावन धाम के सुप्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद जी महाराज ने भी अपने श्री हित राधा केली कुंज आश्रम के संतों व साधकों के साथ प्रिया-प्रीतम को रंग लगाकर होली का पवित्र त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया एवं श्यामा-श्याम को रंग लगाने के बाद वह प्रसादी रंग महाराज जी ने सभी साधकों को लगाया। तत्पश्चात् उन्होंने सभी साधकों को महत्वपूर्ण संदेश भी दिया।
उन्होंने अपने साधकों से कहा, “कि हम सब को वृंदावन धाम अर्थात् श्रीलाड़िली जू के निज महल में प्रिया-प्रीतम एवं गुरुदेव के साथ होली खेलने का जो सौभाग्य प्राप्त हो रहा है वह ब्रह्मा जी आदि को भी नहीं मिलता। अब इस बात का ध्यान रखना कि यह सौभाग्य कभी दुर्भाग्य में न बदले। यदि हम अन्याश्रय रहित होकर अपनी स्वामिनी जू के प्रति अनन्यता धारण किये रहेंगे तो श्यामा-श्याम के साथ यही होली का बाहरी सुख आंतरिक सुख के रूप में परिणित हो जाएगा अर्थात्प्रिया-प्रीतम की दिव्य होली लीला में हमारा प्रवेश हो जाएगा ।
यह जो रंग (गुलाल) आपको लगा है, यह संसारी रंग नहीं है अपितु यह प्रिया जू का प्रसादी रंग है व सद्गुरुदेव भगवान् ने अपने कर कमलों से आपको लगाया है यानि 'रंग प्रिया प्रीतम का और रंगरेजी गुरुदेव'। जैसे आपके शरीर पर रंग लगा, अब बस ऐसे ही हमारा हृदय भी प्रिया-प्रीतम के प्रेमरंग में सराबोर हो जाना चाहिए और हम अपनी श्यामा जू के साथ अखंड सुमिरन रूप से ऐसे ही नित्य आंतरिक होली खेलें जैसी अभी खेल रहे हैं।
आप सभी प्रसन्नचित्त व स्वस्थ रहें, प्रतिक्षण प्रभु का नाम जप करते रहें, पवित्र आहार ग्रहण करें और अब किसी और से होली न खेलें! जब हमने प्रिया-प्रीतम और गुरुदेव से होली खेल ली तो अब दूसरा कोई और रंग हम पर नहीं चढ़ना चाहिए। जो हमारे इष्ट और गुरुदेव का रंग लगा है वही पर्याप्त है। पता नहीं फिर आगे कब मिलेंगे और फिर यह मौका न जाने कब मिलेगा । आज हमें जो सौभाग्य प्राप्त हो रहा है कल यही हमारी स्मृति में रहेगा। इसी स्मृति में हम लोग सुख का अनुभव करेंगे।
हम भी केवल अपने गुरुदेव से ही होली खेलते हैं क्योंकि हमारी प्रिया जू हमारे गुरुदेव हैं और वह मुस्कुरा दिए न तो हमारी होली हो गई। एक बार हमने भी ऐसी ही होली अपने गुरुदेव के साथ खेली थी जैसे अभी आप लोगों ने खेली, वही हमारी स्मृति में बसी हुई है। गुरुदेव के द्वारा आपको रंग देने का मतलब है कि अब आपके हृदय में सांसारिक माया का रंग (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, राग, द्वेष आदि) प्रभाव नहीं डाले। आप सब सदैव अपने प्रियालाल के प्रेमरंग में रंगे रहें और धैर्यपूर्वक अपनी उपासना मे लगे रहें, किसी का गलत संग न करें क्योंकि आप वैष्णव हैं, भगवत्मार्ग के पथिक हैं। आप लोग खूब नाम जप करें, सदैव प्रसन्न रहें।”
श्री हित राधा केली कुंज एक ऐसा आश्रम है जहाँ महाराज जी के आदेशानुसार कोई दान पेटी नहीं लगाई गई है, न ही कोई चढ़ावा स्वीकार किया जाता है। फिर भी हर उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ पर लगभाग 500 के करीब संत रहते हैं और सभी भिक्षावृत्ति से अपना जीवन यापन करते हैं। राधा केली कुंज के द्वारा प्रतिदिन अनेकों प्रकार की गुप्त सेवाएं भी होती हैं जो कभी प्रकट नहीं की जाती हैं। इस संस्था का उद्देश्य आध्यात्मिक रूप से मानव सशक्तिकरण और सामाजिक पुनरुद्धार पर केंद्रित है।
प्रेमानंद जी महाराज प्रतिदिन अर्धरात्रि के बाद लगभग 2:30 बजे अपनी कुटिया से आश्रम जाने के लिए पैदल निकलते हैं फिर चाहे वह अस्वस्थ हों या मौसम प्रतिकूल हो यानि बारिश आदि हो । वह पैदल इसलिए जाते हैं ताकि आगंतुक श्रद्धालुजन आराम से दर्शन प्राप्त कर सकें। रास्ते में उनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लगभग 2 किलोमीटर लंबी लाइन अर्धरात्रि से ही लगना शुरु हो जाती है । होली के दिन भी महाराज श्री के दर्शन के लिए मार्ग में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लगभग 20,000 से 25,000 लोगों ने महाराज जी के दर्शन किये।
इस संस्था द्वारा कई आध्यात्मिक यूट्यूब चैनल भी चलाए जाते हैं। जिन पर कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है जिसमें प्रमुख है महाराज जी का दैनिक सत्संग और एकांतिक वार्तालाप। हाल ही में ‘भजन मार्ग’ यूट्यूबचैनल पर प्रसारित होने वाले ‘एकांतिक वार्तालाप’ कार्यक्रम ने अपने 500 एपिसोड पूरे किये हैं। भजन मार्ग चैनल साल 2019 में बनाया गया था। इस चैनल का उद्देश्य था भक्ति मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक साधक को अपने आध्यात्मिक जीवन में कई अनसुलझे सवालों का जबाव मिलना। इन सभी प्रश्नों का उत्तर स्वयं परम पूज्य महाराज के द्वारा दिया जाता है।
‘एकांतिक वार्तालाप’ प्रोग्राम ने कई धारावाहिकों को टक्कर दी है। एक समय था जब लोग अपने घरों में रात 8:30 बजे किसी सीरियल के लिए टीवी चलाते थे और अब ‘एकांतिक वार्तालाप’ प्रोग्राम के यूट्यूब पर प्रसारित होने का इंतजार करते हैं। श्री हित राधा केली कुंज आश्रम का एकमात्र उद्देश्य राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए उनके गुरुदेव द्वारा बताए गए लक्ष्य के अनुसार समाज की भलाई के लिए आध्यात्मिक और सामाजिक कार्य करना ।
प्रेमानंद जी महाराज का लक्ष्य है कि “हमारे देशवासी अशान्ति, दुःख, क्लेश और भय प्रदान करने वाले असत् आचरणों (जुआ, मांस-मदिरा, हिंसा, व्यभिचार आदि) का त्यागकर प्राप्त कर्तव्य कर्म का दृढ़तापूर्वक भगवद् समर्पित करते हुए पालन करें एवं इस संसार में भी सुख-शांतिमय जीवन व्यतीत कर मानव जीवन के चरम लक्ष्य भवबंधन से मुक्ति अर्थात् भगवान् की प्राप्ति करें”।
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