पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्र भर काटनी होगी जेल की सजा, निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट ने रखा बरकरार
कोर्ट ने सरकार द्वारा दायर एक अपील भी खारिज कर दी, जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था
गुजरात हाई कोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की वह अपील मंगलवार को खारिज कर दी जो उन्होंने हिरासत में मौत के 1990 के मामले में खुद पर आरोपों के खिलाफ दायर की है। इस मामले में भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। जस्टिस आशुतोष शास्त्री और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 323 और 506 के तहत भट्ट और सह-आरोपी प्रवीणसिंह जाला की सजा बरकरार रखी।
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक अपील भी खारिज कर दी, जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था। भट्ट और जाला जेल में बंद हैं, अदालत ने इन पांच आरोपियों के जमानत बांड रद्द कर दिए जो फिलहाल जेल से बाहर हैं।
खंडपीठ ने आदेश में कहा, ''हमने संबंधित आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराते समय निचली अदालत द्वारा दर्ज की गई दलील पर भी गौर किया है।' न्यायाधीशों ने कहा, ''रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों से, हमारी राय है कि निचली अदालत ने धारा 323 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए (पांच) आरोपियों को दोषी ठहराकर सही किया है।'' निर्णय अभी तक उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
जामनगर की सत्र अदालत ने 20 जून, 2019 को भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीणसिंह जाला को हत्या का दोषी ठहराया था। तीस अक्टूबर, 1990 को, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी की 'रथ यात्रा' को रोकने के खिलाफ 'बंद' के आह्वान के बाद जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक दंगे के बाद लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था।
हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में शामिल एक व्यक्ति प्रभुदास वैश्नानी की रिहायी के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई। वैश्नानी के भाई ने भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में उसे प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया। भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन पर नशीली दवाएं रखने के लिए एक व्यक्ति को झूठा फंसाने का आरोप है। मामले की सुनवाई चल रही है।
वह सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों के संबंध में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में भी आरोपी हैं। इससे पहले भट्ट तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर करके 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाया था। आरोपों को एक विशेष जांच दल ने खारिज कर दिया था। उन्हें 2011 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था और अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय द्वारा 'अनधिकृत अनुपस्थिति' के लिए बर्खास्त कर दिया गया था।
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