gujarat high court said it would watch the film maharaj and then decide the plea against film आमिर के बेटे की 'महाराज' के खिलाफ याचिका, धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप, फिल्म देखकर फैसला लेगी अदालत, Gujarat Hindi News - Hindustan
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आमिर के बेटे की 'महाराज' के खिलाफ याचिका, धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप, फिल्म देखकर फैसला लेगी अदालत

अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान की फिल्म 'महाराज' के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि फिल्म से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होती है।

Admin लाइव हिन्दुस्तान, अहमदाबादThu, 20 June 2024 12:41 PM
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आमिर के बेटे की 'महाराज' के खिलाफ याचिका, धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप, फिल्म देखकर फैसला लेगी अदालत

अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान की फिल्म 'महाराज' के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि फिल्म से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, इसलिए इसके प्रसारण पर रोक लगाई जाए। वहीं, गुजरात हाई कोर्ट की जज ने कहा है कि वह फिल्म देखकर तय करेंगी कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं या नहीं।

गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह पहले फिल्म महाराज देखेगा और फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर फैसला करेगा। अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान अभिनीत यह फिल्म 18 जून को   नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली थी। हालांकि, 12 जून को एक अंतरिम आदेश द्वारा इस पर रोक लगा दी गई थी। यह रोक अभी भी जारी है।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात हाई कोर्ट की जज न्यायमूर्ति संगीता विशेन ने कहा कि वह पहले फिल्म देखेंगी और तय करेंगी कि क्या फिल्म का कोई हिस्सा किसी धार्मिक भावना को आहत करता है। याचिकाकर्ता श्रीकृष्ण के भक्त हैं और पुष्टिमार्ग संप्रदाय के नियमों का पालन करते हैं। 

जस्टिस विशेन ने कहा, "मैं फिल्म देखूंगी क्योंकि सभी पक्ष इस पर सहमत हो गए हैं। मैं फिल्म देखने के बाद तय करूंगी कि क्या फिल्म में कोई दृश्य आपत्तिजनक है या किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा सकता है।"

दरअसल, यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शालिन मेहता और जल उनवाला ने कोर्ट को फिल्म देखने और यह तय करने का सुझाव दिया कि याचिका में लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं। उनका दावा है कि फिल्म विवादास्पद मुकदमे के बारे में बात करती है और उसमें आए फैसले के अंशों का फिल्म में इस्तेमाल किया गया है।

मेहता ने कहा कि 2 घंटे 30 मिनट की फिल्म में से केवल 20 मिनट ही मुकदमे के लिए समर्पित हैं। पूरी फिल्म में फैसला बिल्कुल भी नहीं पढ़ा गया है। फैसले का केवल एक दृश्य है, जिसमें जज कहते हैं कि मुकदमा 7 दिनों तक चला और कुछ गवाहों से पूछताछ की गई और मामला खारिज कर दिया गया है। इसलिए उनकी यह आशंका गतल है कि फैसले के अंशों का उपयोग किया जाएगा जिससे समाज में अशांति आदि हो सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मिहिर जोशी भी पहले फिल्म देखने के कोर्ट के सुझाव पर सहमत हो गए।  

पीठ ने सुझाव स्वीकार कर लिया और कहा कि वह फिल्म देखेगी और मामले पर फैसला करेगी। मामले की अगली सुनवाई 20 जून को होगी। याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए अदालत का रुख किया कि फिल्म कथित तौर पर 1862 के मानहानि मामले पर आधारित है, जो सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित कर सकती है और हिंदू धर्म के खिलाफ हिंसा भड़का सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1862 के मामले में बॉम्बे के सुप्रीम कोर्ट के अंग्रेज जजों द्वारा जो तय किया गया था, उसमें हिंदू धर्म, भगवान कृष्ण और भक्ति गीतों और भजनों के बारे में गंभीर निंदनीय टिप्पणियां थीं। यह भी तर्क दिया गया कि फिल्म की रिलीज बिना किसी ट्रेलर या प्रचार कार्यक्रम के गुप्त रूप से की जा रही थी। आरोप लगाया गया कि ऐसा इसकी कहानी को छुपाने के लिए किया गया था। हालांकि, फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अपील करने के बावजूद उन्हें मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

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