पाकिस्तानी हसीना को तस्वीरें भेजने वाले पूर्व इसरो अधिकारी को राहत नहीं, HC ने क्या कहा
गुजरात हाई कोर्ट ने पाकिस्तान में महिला को तस्वीरें भेजने के आरोपी पूर्व इसरो अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इसमें विवेक के इस्तेमाल का कोई मामला नहीं बनता है।

गुजरात हाई कोर्ट ने पाकिस्तान में महिला को तस्वीरें भेजने के आरोपी पूर्व इसरो अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी कल्पेश तुरी ने कथित तौर पर अहमदाबाद में इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र की तस्वीरें पाकिस्तान में रहने वाली एक महिला को भेजी थीं।
गुजरात हाई कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक पूर्व तकनीकी अधिकारी को जमानत देने से इनकार कर दिया। अधिकारी पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर पाकिस्तान में रहने वाली एक महिला के साथ इसरो की गोपनीय जानकारी साझा की थी।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एमआर मेंगडे ने कहा कि आरोपी कल्पेश तुरी ने कथित तौर पर पाकिस्तान में रहने वाली एक महिला को अहमदाबाद में इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र से संबंधित भेजी थीं। उन्होंने तस्वीरें खांचने के लिए किसी अधिकारी अथवा प्राधिकरण से इजाजत नहीं ली थी। कोर्ट ने यह भी पाया कि तुरी ने पिछले साल मुकदमे में देरी की स्थिति में छह महीने के बाद नई याचिका दायर करने की छूट के साथ अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड बताता है कि अपराध की सुनवाई शुरू हो गई है और अभियोजन पक्ष द्वारा पहले ही कई गवाहों की जांच की जा चुकी है। इसलिए पहले की जमानत याचिका दायर करने के बाद परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। तुरी पर पिछले साल कथित साइबर आतंकवाद के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 एफ (1) (बी) के तहत अहमदाबाद के आतंकवाद विरोधी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
तुरी की ओर से पेश वकील शालिन मेहता ने कोर्ट से उनकी रिहाई के लिए प्रार्थना की और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा जांच अधिकारी को दिए गए बयान पर भरोसा जताया। बयान के अनुसार कथित तौर पर तुरी द्वारा साझा की गई जानकारी गुप्त, गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति की नहीं थी। न ही इसका संबंध देश की सुरक्षा से था। मेहता ने यह भी तर्क दिया कि तुरी का इसरो के साथ 17 साल का बेदाग करियर था। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि संबंधित महिला भारत में नहीं, बल्कि पाकिस्तान की रहने वाली थी।
मेहता ने अदालत को बताया कि आवेदक ने केवल तस्वीरें भेजी थीं, जो उसके द्वारा अपने कार्यस्थल पर ली गई सेल्फी थीं। इसके अलावा तुरी द्वारा उस महिला को कोई अन्य जानकारी नहीं भेजी गई थी। हालांकि, अतिरिक्त लोक अभियोजक जेके शाह ने कोर्ट को बताया कि तुरी द्वारा साझा की गई तस्वीरें अहमदाबाद में इसरो परिसर की थीं। शाह ने यह भी बताया कि तुरी द्वारा भेजी गई जानकारी संवेदनशील प्रकृति की थी।
रिकॉर्ड पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा जांच अधिकारी को दिया गया बयान और अभियुक्त का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील द्वारा पेश किए गए तर्क उस समय भी उपलब्ध थे, जब तुरी ने अपनी पिछली जमानत याचिका वापस ले ली थी।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड की सामग्री ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखी जाएगी और ट्रायल कोर्ट इस पर विचार करेगा। इसलिए इस अदालत के लिए इस संबंध में कुछ भी निरीक्षण करना उचित नहीं होगा क्योंकि ट्रायल पहले से ही प्रगति पर है। केस की प्रगति और इस आरोप पर ध्यान देते हुए कि तस्वीरें बिना किसी इजाजत के ली गईं, कोर्ट ने कहा कि तुरी के पक्ष में विवेक का प्रयोग करने का कोई मामला नहीं बनता है।
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