क्या आप-कांग्रेस मिलकर रोक सकते हैं BJP का 'विजय रथ', क्या कहते हैं एक्सपर्ट और ओपिनियल पोल?
गुजरात की सभी 182 सीटों पर चुनाव इस बार दो चरणों में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को होने जा रहे हैं। नतीजे 8 दिसंबर का आएंगे लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि क्या बीजेपी के लिए यह चुनाव मुश्किल है?
गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अब 10 दिनों से भी कम समय बचा है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री मेगा रैलियां कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ से राहुल गांधी की भी चुनाव प्रचार में एंट्री हो चुकी है। चुनाव को त्रिकोणीय बनाने वाले अरविंद केजरीवाल भी लगातार रैलियां और रोड शो कर रहे हैं। इससे पहले तीन दशक तक करीबन सभी चुनावों में कांगेस और बीजेपी के बीच ही लड़ाई होती रही है। राज्य में 1995 से ही कांग्रेस सत्ता से गायब है और उस पर बीजेपी का कब्जा रहा है।
गुजरात की सभी 182 सीटों पर चुनाव इस बार दो चरणों में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को होने जा रहे हैं। नतीजे 8 दिसंबर का आएंगे लेकिन उससे पहले ये जानते हैं कि क्या बीजेपी के लिए यह चुनाव मुश्किल है? क्योंकि 2002 में पार्टी ने जहां 127 सीटें जीती थीं, वहीं यह घटते हुए 2007 में 117, 2012 में 115 और 2017 में 99 पर सिमट चुकी है। पिछली बार कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें जीती थीं। lआप ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सभी पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
गुजरात की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार आर के मिश्रा ने रेडिफमेल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी इस बार विकट स्थिति का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है लेकिन राज्य में भी पार्टी कुछ नहीं है बल्कि सबकुछ नरेंद्र मोदी ही हैं। यानी नरेंद्र मोदी ही बीजेपी हैं और नरेंद्र मोदी ही सरकार हैं। गुजरात चुनाव भी उन्हीं के नाम पर लड़ा जा रहा है। वह खुद भी लोगों से कह रहे हैं, 'मुझे देखिए, मेरे काम को देखिए और वोट कीजिए।" मोदी गुजराती अस्मिता के भी प्रतीक चिह्न बने हुए हैं।
मिश्रा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मोदी गुजरात चुनाव हारने वाले हैं और अगर ऐसा होता है तो 2024 के संसदीय चुनाव के लिए उनके सामने एक बड़ी समस्या उठ खड़ी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी गुजरात में 2017 के नतीजों से भी कमतर प्रदर्शन करती है तो 10 विधायकों को मैनेज करना बीजेपी के लिए कोई टेढ़ी खीर नहीं है। 2017 में भी जीतकर आने वाले कांग्रेस के 11 विधायक बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी बिना बहुमत हासिल किए कई राज्यों में सरकार बना चुकी है और चला रही है। वैसे बीजेपी ने हार्दिक पटेल को अपने पाले में कर कांग्रेस के 2017 के पाटीदार वोट बैंक को तोड़ने की भरपूर कोशिश की है।
बीजेपी ने शुरू में आम आदमी पार्टी को भी खूब हवा दी, ताकि वह कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सके लेकिन जब आप की हवा सकारात्मक दिशा में बहने लगी तो प्रधानमंत्री मोदी को खुद ही कूदना पड़ा और आप की मुफ्त रेवड़ी वाली नीति का सार्वजनिक मंचों से विरोध करना पड़ा। केजरीवाल गुजरात के लोगों से कई चीजें देने का वादा कर रहे हैं। इसमें फ्री बिजली से लेकर बेरोजगारी भत्ता और 10 लाख नौकरियों का वादा भी शामिल है।
आंकड़े कहते हैं कि बीजेपी ने पिछले चुनाव में 1.47 करोड़ वोट (49 फीसदी) हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस को 1.24 करोड़ वोट (41.4%) मिले थे। बीजेपी ने इस बार 2.4 करोड़ वोट पाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही बीजेपी ने अब आम आदमी पार्टी को 24 फीसदी वोट शेयर तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है।
अहमदाबाद के पत्रकार अशोक श्रीमाली का कहना है कि आप को राज्य में 35 फीसदी वोट मिल सकते हैं। मनीशी जानी, जिन्होंने राज्य में 1974 के दौर में नव निर्माण आंदोलन चलाया था और पहले पाटीदार सीएम चिमनभाई पटेल की सरकार गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी, ने रेडिफमेल से कहा कि राज्य के शहरी और अर्द्धशहरी इलाकों में मिडिल क्लास लोगों को केजरीवाल लुभाने में सफल होते दिख रहे हैं क्योंकि लोग महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ती कीमतों से परेशान हैं।
इंडिया टीवी के ताजा ओपिनियन पोल सर्वे में कहा गया है कि त्रिकोणीय मुकाबले और सत्ता विरोधी लहर के बावजूद बीजेपी को 50 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है, जबकि कांग्रेस को 39 फीसदी और आप को 8 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। अन्य के खाते में 3 फीसदी वोट जा सकते हैं। 2017 में बीजेपी को 49.1 फीसदी, कांग्रेस को 41.4 फीसदी और निर्दलीयों को 4.3 फीसदी वोट मिले थे। आप के 29 उम्मीदवार लड़े थे और उन्हें सिर्फ 0.1 फीसदी वोट मिले थे।
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