27 साल तक जीत को तरसे, 4 चुनावों में हार के बाद मारी बाजी तो बन गए मंत्री
कहते हैं ना कि हार नहीं मानने वालों को जीत जरूर मिलती है। गुजरात के इस नेता की कहानी भी यही बताती है। 4 विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर चुके भाजपा नेता भीखु सिंह परमार को 5वीं कोशिश में जीत मिली।
कहते हैं ना कि हार नहीं मानने वालों को जीत जरूर मिलती है। गुजरात के इस नेता की कहानी भी यही बताती है। 4 विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर चुके भाजपा नेता भीखु सिंह परमार को 5वीं कोशिश में जीत मिली तो साथ में मंत्री पद भी हासिल हुआ। 1995 में पहली बार चुनाव लड़ने वाले परमार ने इस बारर मोदासा सीट से जीत हासिल की है। 68 वर्षीय नेता ने कांग्रेस के तीन बार के विधायक राजेंद्र सिंह ठाकोर को 34,788 वोट से हराया।
परमार पहली बार 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़े। तब उन्हें 13,041 वोट मिले। भीखु सिंह 2002 में दोबारा लड़े तो 17596 वोट हासिल किए। 2007 में वह बीएसपी के टिकट पर लड़े तो 7,996 वोट ही हासिल कर सके। 2017 में उन्हें भाजपा से टिकट मिला लेकिन महज 1640 वोट से हार का सामना करना पड़ा।
कॉपरेटिव सेक्टर के जमीनी नेता परमार ओबीसी समुदाय से आते हैं। वह हिम्मतनगर में साबर डेयरी के डायरेक्टर भी बने। जनता के बीच उनकी पकड़ और पिछले चुनाव में उनके बेहतर प्रदर्शन की वजह से हार के बावजूद परमार को एक बार फिर भाजपा ने टिकट दिया। मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद परमार ने कहा, ''मैं अपनी पूरी क्षमता और शक्ति से जनता की सेवा करना चाहता हूं।''
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