Hindi Newsगुजरात न्यूज़Major accident in Girnar Parikrama of Gujarat 9 devotees died this was the reason

गुजरात की गिरनार परिक्रमा में बड़ा हादसा, 9 श्रद्धालुओं की मौत- ये थी वजह

इतनी बड़ी संख्या में एक साथ मौत होने से चारो तरफ हड़कंप मच गया। इस परिक्रमा की शुरूआत मंगलवार रात 12 बजे हुई थी। इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, गिरनारThu, 14 Nov 2024 09:11 PM
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गुजरात से बेहद चौकाने वाली खबर सामने आई है। यहां के जूनागढ़ में गरवा गिरनार की लीली परिक्रमा में नौ लोगों की जान चली गई। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ मौत होने से चारो तरफ हड़कंप मच गया। इस परिक्रमा की शुरूआत मंगलवार रात 12 बजे हुई थी। इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था। हालांकि इसे लेकर प्रशासन ने काफी चेतावनियां जारी की थीं मगर इतने इंतजामों के बावजूद लोगों की जान चली गई।

इस वजह से हुईं नौ मौतें

परिक्रमा शुरू होने के बाद 11 और 12 नवंबर के दौरान अलग-अलग रास्तों पर नौ अधेड़ उम्र के लोगों की मरने की खबर सामने आई। इन लोगों की मौतों में एक समानता थी। सबकी मौत हार्ट अटैक के कारण हुई। जूनागढ़ जिला के कलेक्टर अनिल राणावसिया ने कहा कि लोग एक ही दिन में पूरी परिक्रमा करने की कोशिश करते हैं। इससे उन्हें चलने में खासी दिक्कत होती है और हार्ट अटैक और चक्कर जैसी समस्याओं से जूझते हैं और उनके साथ हादसा हो जाता है।

मरने वाले सभी अधेड़ उम्र के पुरुष

बताया गया कि मरने वाले सभी लोग पुरष हैं। इन लोगों के सीने में हुआ असहनीय दर्द जानलेवा साबित हुआ। इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए जूनागढ़ सिविल अस्पताल और भेंसाण सिविल अस्पताल में भेज दिया गया है। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ लोगों के मरने से हड़कंप मच गया और चारो तरफ चर्चा का विषय भी बन गया।

प्रशासन ने जारी की सलाह

प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित और सावधानी से यात्रा करने की सलाह दी है ताकि किसी को किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना ना करना पड़े। प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि स्वास्थ्य में किसी भी तरह की दिक्कत परेशानी होने पर स्वास्थ्य टीम से संपर्क करें। लोगों से आग्रह किया गया है कि इतनी लंबी परिक्रमा (36 किमी) एकसाथ ना करें। धीरे-धीरे रुक-रुक कर इसे कई चरणों में पूरी करें।

5200 साल पहले शुरू हुई थ परंपरा

यह परिक्रमा कार्तिक एकादशी की मध्यरात्री को शुरू होती है। इसका पूरा चक्कर करीब 36 किमीटर का है। यह जंगल, पहाड़, कंकड़-पत्थर भरे रास्तों से होकर पूरा हता है। लाखों की संख्या में भक्त लोग परिक्रमा के दौरान इन्हीं जंगलों में दिन और रात बिताते हैं। बताया जाता है कि करीब 5200 साल पहले भगवाल श्री कृष्ण और रुक्मणि ने इस पर्वत की पहली बार परिक्रमा लगाई थी। इसके बाद ये परंपरा चली आ रही है।

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