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समलैंगिक साथी का कत्ल कर किराए के मकान में ही दफनाई लाश, गुजरात पुलिस ने 14 साल बाद दबोचा

गुजरात पुलिस ने अपने समलैंगिक साथी की हत्या करने के बाद रेत और सीमेंट से बने मसाले के इस्तेमाल से लाश को किराए के मकान में ही दफनाने के 14 साल बाद आरोपी को दबोचा है। विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट…

Krishna Bihari Singh पीटीआई, अहमदाबादSat, 26 Oct 2024 04:48 PM
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अहमदाबाद में अपने समलैंगिक साथी की कथित तौर पर हत्या करने के बाद रेत और सीमेंट से बने मसाले के इस्तेमाल से लाश को घटना स्थल के पास ही दफन कर छिपाने के 14 साल बाद आरोपी शख्स को गुजरात पुलिस ने दबोच लिया है। गुजरात पुलिस ने शनिवार को बताया कि उसने अपने समलैंगिक साथी की कथित तौर पर हत्या करने के बाद उसकी लाश को मौके पर दफनाने के बाद ऊपर से प्लास्टर करने 14 साल बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने बताया कि कथित अपराध को अंजाम देने के बाद आरोपी रमेश देसाई पीड़ित मनीष सहाय की मोपेड पर सवार होकर भाग गया था। वह आठ साल तक राजस्थान में रहा और बाद में अपनी पहचान बदलकर मुंबई के एक होटल में नौकरी करने लगा। देसाई ने 29 जून, 2010 को झगड़े के बाद सहाय की कथित तौर पर हत्या कर दी थी।

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने अपने समलैंगिक साथी की लाश को नंगा किया, टेप से चिपकाया और कपड़े से लपेटा और अहमदाबाद में अपने किराए के मकान के किचन सिंक के नीचे दफना कर ऊपर से रेत और सीमेंट के मसाले से प्लास्टर कर के छिपा दिया। पुलिस ने बताया कि हालांकि कुछ समय बाद ही 34 वर्षीय मनीष सहाय की सड़ी गली लाश बरामद कर ली गई थी।

मामले की संवदनशीलता को देखते हुए क्राइम ब्रांच ने हत्या के कई साल बाद फिर से जांच शुरू की और सुराग जुटाने के लिए अपने स्रोतों को सक्रिय किया। आखिरकार संदिग्ध को मुंबई से राजस्थान के रास्ते में अहमदाबाद के पास एक स्थान पर पाया गया। पूछताछ करने पर उसने शुरू में झूठी पहचान बताई, लेकिन बाद में अपनी असली पहचान कबूल कर ली। देसाई ने पुलिस को बताया कि उसका सहाय के साथ समलैंगिक संबंध था।

हत्या के दिन दोनों के बीच झगड़ा हुआ था। इसी दौरान गुस्से में तमतमाए देसाई ने सहाय पर ईंट से वार कर दिया था। इस हमले में सहाय गंभीर रूप से घायल हो गया था। लाश को उसी मकान में दफनाने के बाद, देसाई फरार हो गया था। वह आठ साल तक राजस्थान में रहा। पुलिस ने कहा कि उसने अपना नाम बदल लिया, नए पहचान दस्तावेज बनाए। आरोपी ने अपने फर्जी नाम से ही जीवन बीमा पॉलिसी बनवाई। साल 2017 में वह स्थायी रूप से महाराष्ट्र चला गया और नवी मुंबई में एक होटल में सीनियर कैप्टन के रूप में नौकरी ली।

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