अहमदाबाद एयरपोर्ट के बाद क्यों है बर्ड स्ट्राइक का खतरा? मछली बाजार से कनेक्शन
अहमदाबाद प्लेन क्रैश ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इस बीच एयरपोर्ट के पास स्थित मछली बाजार फिर चर्चा में है।

अहमदाबाद एयर पोर्ट के पास एयर इंडिया का प्लेन AI-171 क्रैश हो गया। इस हादसे में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बर्ड स्ट्राइक इसकी वजह हो सकती है। इस त्रासदी ने एक बार फिर अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास आसारवा के मछली बाजार के कारण होने वाले बर्ख स्ट्राइक के खतरे पर सवाल उठाए हैं। इस बाजार को मकरबा शिफ्ट करने का फैसला सालों से लटका पड़ा है, जो इस हादसे के बाद फिर से चर्चा में है।
मछली बाजार से क्या कनेक्शन?
2011 में गुजरात फिशरीज सेंट्रल को-ऑपरेटिव एसोसिएशन (GFCCA) ने आसारवा में 10,241 वर्ग मीटर की जमीन पर मछली बाजार बनाने की योजना बनाई। लेकिन स्थानीय नेताओं के विरोध के बाद GFCCA ने सैटेलाइट, बोदकदेव या मकरबा में जगह मांगी। AMC ने मकरबा में 5,601 वर्ग मीटर की जमीन फाइनल की। आसारवा की जमीन की कीमत 43.72 करोड़ रुपये और मकरबा की 42.65 करोड़ रुपये तय हुई। GFCCA को मकरबा की जमीन के बदले आसारवा की जमीन देनी थी और 1.07 करोड़ रुपये का अंतर देना था।
यह प्लान 6 अक्टूबर 2022 को AMC की कमेटी के सामने रखा गया, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। नतीजा? आसारवा में अस्थायी दुकानों से मछली बाजार आज भी चल रहा है। एक अधिकारी ने बताया, “GFCCA को 2.90 करोड़ रुपये की सरकारी मदद से आसारवा में बाजार बनाना था, लेकिन 2019 से विरोध चल रहा है। मकरबा में जमीन देने का प्रस्ताव भी अटक गया। अभी बाजार AMC की दी हुई दुकानों से चल रहा है।”
बर्ड स्ट्राइक का पुराना खतरा
अहमदाबाद एयरपोर्ट के आसपास बर्ड स्ट्राइक की समस्या कोई नई नहीं है। 6 अक्टूबर 2022 को हुई एक बैठक में एयरपोर्ट के पास कबूतरबाजी की कॉम्पटिशन पर बात हुई। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने AMC से इन पर रोक लगाने को कहा, लेकिन AMC ने इसे अपने दायरे से बाहर बताया। आखिर में फैसला हुआ कि AMC और एयरपोर्ट अधिकारी मिलकर आसारवा, सरदारनगर, कुबेरनगर और मेघनीनगर जैसे इलाकों में कबूतरबाजी की जानकारी जुटाएंगे। लेकिन इस दिशा में कुछ खास हुआ नहीं।
हादसे की वजह क्या?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बर्ड स्ट्राइक की वजह से दोनों इंजनों में खराबी आ सकती है। पूर्व पायलट कैप्टन मोहन रंगनाथन ने कहा, ‘उड़ान के वक्त विमान को पूरी ताकत चाहिए होती है। अगर दोनों इंजनों में पक्षी टकराए, तो शक्ति कम हो जाती है और विमान नीचे आ सकता है। अगर पास में बहुमंजिला इमारतें न होतीं, तो शायद जानमाल का नुकसान कम होता।’
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