6 साल चले मुकदमे में जीता WhatsApp, मिला 1400 करोड़ का हर्जाना; जासूसी से जुड़ा है मामला
WhatsApp ने 6 साल चले एक मुकदमे को जीत लिया है और बदले में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को करीब 1400 करोड़ रुपये का हर्जाना मिला है। मुकदमा पेगासस स्पाईवेयर से जुड़ा हुआ है। डिटेल में जानिए क्या है पूरा मामला

WhatsApp ने 6 साल चले एक मुकदमे को जीत लिया है और बदले में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को करीब 1400 करोड़ रुपये का हर्जाना मिला है। मुकदमा जासुसी करने वाले पेगासस स्पाईवेयर से जुड़ा है। दरअसल, वॉट्सऐप को पेगासस स्पाइवेयर के लिए कुख्यात एनएसओ ग्रुप (NSO Group) के खिलाफ एक फैसले के बाद 167 मिलियन डॉलर (लगभग 1,414.856 करोड़ रुपये) का हर्जाना दिया गया है, जिसे वॉट्सऐप के जरिए मैलवेयर फैलाने का दोषी पाया गया था। इस फैसले से छह साल की कानूनी लड़ाई भी खत्म हो गई। बता दें कि 2019 में, वॉट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा ने इजरायल के एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जब उन्हें पता चला कि एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर ने पत्रकारों और ह्यूमन राइट्स एडवोकेट समेत करीब 20 देशों के 1,400 से अधिक लोगों को निशाना बनाया।
मेटा ने इस घटना को एक " हाइली सोफेस्टिकेटेड साइबर अटैक" बताया, जिसने मैलवेयर को वीडियो कॉल के माध्यम से डिवाइस में घुसपैठ करने में सक्षम बनाया, भले ही उन कॉल का जवाब न दिया गया हो।
दिसंबर में, कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के लिए यू.एस. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज फिलिस हैमिल्टन ने फैसला सुनाया कि एनएसओ ग्रुप ने वॉट्सऐप इंस्टॉल किए गए फोन पर हमला करने के लिए अपने पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग करके यू.एस. कंप्यूटर फ्रॉड और एब्यूज एक्ट का उल्लंघन किया था। हाल ही में आए इस फैसले के बाद एक हफ्ते तक जूरी ट्रायल चला जिसका उद्देश्य मेटा को दिए जाने वाले हर्जाने का निर्धारित करना था। जूरी ने अंततः $444,719 (लगभग 3 करोड़ रुपये) प्रतिपूरक हर्जाने के साथ-साथ $167,254,000 दंडात्मक हर्जाने का फैसला सुनाया।
वॉट्सऐप पर इसका कोई असर नहीं पड़ा: एनएसओ ग्रुप
वॉट्सऐप के वाइस प्रेसिडेंट कार्ल वूग ने कहा कि यह हालिया फैसला एनएसओ ग्रुप की अमेरिकी फर्म्स को निशाना बनाने और यूजर की प्राइवेसी को कम करने की प्रैक्टिस के खिलाफ एक कड़ा संदेश देता है। इस बीच, एनएसओ ग्रुप का कहना है कि उसके पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अमेरिकी फोन नंबर्स पर नहीं किया जा सकता है और जोर देकर कहा कि वॉट्सऐप पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है।
तकनीक गंभीर अपराधों और आतंकवाद को रोकने में सहायक: एनएसओ ग्रुप
एनएसओ के गिल लैनर ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना के बारे में जानकारी दी है। उनका तर्क है कि उनकी तकनीक गंभीर अपराधों और आतंकवाद को रोकने में सहायक है। जवाब में, वूग में बताया कि मेटा ने दिए गए हर्जाने को सुरक्षित करने का इरादा किया है और डिजिटल राइट ऑर्गेनाइजेशन को एक हिस्सा डोनेट करने की योजना बनाई है, साथ ही एनएसओ द्वारा भविष्य में किसी भी तरह की टागरेटिंग को रोकने के लिए अदालती आदेश की भी मांग की है।
इसके अलावा, 2019 में, वॉट्सऐप ने भारत में कई लोगों को उनके डिवाइस की संभावित निगरानी के बारे में अलर्ट किया था। सूचित किए गए लोगों में ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट बेला भाटिया और वकील निहाल सिंह राठौड़ शामिल थे, जो भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े हैं। दोनों ने पुष्टि की कि उन्हें वॉट्सऐप से चेतावनी मिली थी, जिसमें संकेत दिया गया था कि मई 2019 तक दो सप्ताह तक उनके फोन एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के साथ निगरानी में थे।
(कवर फोटो क्रेडिट-thehackernews)
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