खतरे में WhatsApp यूजर्स, बिना किसी लिंक पर क्लिक किए ही हैक हो रहा फोन, डिटेल
WhatsApp यूजर्स को सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि वॉट्सऐप के करोड़ों यूजर्स पर जासूसी का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दो दर्जन से ज्यादा देशों में वॉट्सऐप यूजर्स एक स्पाइवेयर हमले से प्रभावित हुए हैं।
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WhatsApp यूजर्स को सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि वॉट्सऐप के करोड़ों यूजर्स पर जासूसी का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दो दर्जन से ज्यादा देशों में वॉट्सऐप यूजर्स एक स्पाइवेयर हमले से प्रभावित हुए हैं, जिसमें इटली में कम से कम सात मामलों की पुष्टि हुई है, जिसके बाद सरकार ने जांच शुरू कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सर्विलांस कंपनी पैरागॉन सॉल्यूशंस से जुड़े इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल जर्नलिस्ट, एक्टिविस्ट और सिविल सोसाइटी के मेंबर्स को निशाना बनाने के लिए किया गया था। सबसे डराने वाली बात यह है कि इसके लिए "जीरो-क्लिक" हैक का इस्तेमाल किया गया था, जिसके लिए किसी यूजर इंटरैक्शन की जरूरत ही नहीं पड़ती। यानी बिना किसी लिंक पर क्लिक किए हैं फोन हैक किया जा सकता है।
करीब 90 यूजर्स को हैक करने का प्रयास किया गया
पैरागॉन का स्पाइवेयर सरकारी क्लाइंट्स को बेचा जाता है, जो अपराध से लड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। वॉट्सऐप ने पुष्टि की है कि हो सकता है कि प्रभावित यूजर्स के डिवाइस से समझौता किया गया हो। वॉट्सऐप के अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि उसने पता लगाया है कि करीब 90 यूजर्स को हैक करने का प्रयास किया गया है। अधिकारी ने कहा कि इजरायली स्पाइवेयर कंपनी पैरागॉन सॉल्यूशंस ने जर्नलिस्ट और सिविल सोसाइटी के मेंबर्स सहित उनके कई यूजर्स को निशाना बनाया है।
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कैसे काम करता है "जीरो-क्लिक" हैक
डराने वाली बात यह है कि पैरागॉन का स्पाइवेयर "जीरो-क्लिक" हैक का उपयोग करता है, यानी कि यूजर के फोन को हैक करने के लिए किसी भी मलिशियल लिंक पर क्लिक करने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि जीरो-क्लिक अटैक हैकर्स को पीड़ित से किसी भी तरह के इंटरैक्शन के बिना टारगेट के डिवाइस तक पहुंचने की अनुमति देता है। हमले का यह रूप स्पाइवेयर के बढ़ते जोखिमों को उजागर करता है और यह बताता है कि कैसे यूजर्स को उनकी ओर से किसी भी एक्शन के बिना अनजाने में टारगेट किया जा सकता है।
हैकर्स के निशाने पर पत्रकार और सिविल सोसाइटी के मेंबर्स
रॉयटर्स के अनुसार, वॉट्सऐप अधिकारियों ने यह बताने से इनकार कर दिया कि विशेष रूप से किसे निशाना बनाया गया था। लेकिन उन्होंने कहा कि जिन लोगों को निशाना बनाया गया, वे दो दर्जन से अधिक देशों में स्थित थे, जिनमें यूरोप के कई लोग शामिल थे। हालांकि, द गार्जियन ने बताया कि हैकर्स के निशाने पर पत्रकार और सिविल सोसाइटी के मेंबर्स थे।
वॉट्सऐप ने हैकिंग के प्रयास को बाधित किया
अधिकारी ने कहा कि वॉट्सऐप ने हैकिंग के प्रयास को बाधित कर दिया है और कनाडाई इंटरनेट वॉटडॉग ग्रूप सिटीजन लैब को टारगेट भेज रहा है। अधिकारी ने इस बात पर चर्चा करने से इनकार कर दिया कि उसने कैसे निर्धारित किया कि पैरागॉन हैक के लिए जिम्मेदार था। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन और इंडस्ट्री पार्टनर्स को सूचित किया गया था, लेकिन उन्होंने डिटेल देने से इनकार कर दिया।
सिटीजन लैब के शोधकर्ता जॉन स्कॉट-रेलटन ने कहा कि वॉट्सऐप यूजर्स को टारगेट करने वाले पैरागॉन स्पाइवेयर की खोज "यह इस बात की याद दिलाता है कि स्पाइवेयर का प्रसार जारी है, और जैसे-जैसे यह बढ़ता है, हम समस्याग्रस्त उपयोग के परिचित पैटर्न को देखना जारी रखते हैं।"
स्पाइवेयर मर्चेंट जैसे कि पैरागॉन सरकारी क्लाइंट्स को हाई-एंड सर्विलांस सॉफ्टवेयर बेचते हैं और आमतौर पर अपनी सर्विसेस को अपराध से लड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताते हैं। लेकिन पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी राजनेताओं और कम से कम 50 अमेरिकी अधिकारियों के फोन पर ऐसे जासूसी उपकरण बार-बार पाए गए हैं, जिससे इस तकनीक के अनियंत्रित प्रसार पर चिंता बढ़ गई है।
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