1 दिसंबर से बदले नियम, क्या वक्त पर नहीं आएंगे OTP वाले मेसेज? TRAI ने दिया जवाब
TRAI की ओर से अगले महीने से मेसेज ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन्स लागू की जा रही हैं, जिनका मकसद स्पैम मेसेजेस को रोकना है। कई यूजर्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अब OTP मेसेज देर से तो नहीं डिलीवर होंगे।
टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की ओर से अगले महीने से मेसेज ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन्स लागू की जा रही हैं, जिनका मकसद स्पैम मेसेजेस को रोकना है। ऐसे में कई रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, जिनमें दावा किया गया है कि मेसेजेस को ट्रेस करने की इस प्रक्रिया के चलते अब वन-टाइम-पासवर्ड (OTP) वाले मेसेजेस आने में देरी लगेगी। कई यूजर्स इस बात को लेकर चिंतित हैं और अब TRAI ने खुद इसपर जवाब दिया है।
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 1 दिसंबर से OTP मेसेजेस का फ्लो प्रभावित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) मेसेज ट्रेसेबिलिटी गाइडलाइन्स लागू करने जा रही है, जो अगले महीने से प्रभावी होंगी। हालांकि रेग्युलेटरी बॉडी ने ऐसी रिपोर्ट्स को सिरे से नकार गिया है और बताया है कि OTP मेसेजेस पर नई ट्रेसेबिलिटी का कोई असर नहीं होगा और यूजर्स को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
क्या हैं TRAI के मेसेज ट्रेसेबिलिटी से जुड़े नियम?
बीते अगस्त महीने में TRAI ने टेलिकॉम ऑपरेटर्स को निर्देश दिए थे कि वे मेसेजिंग सेवााओं का दुरुपयोग होने से रोकें और अपने कंज्यूमर्स को स्कैम्स और फिशिंग से बचाएं। इसके लिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और BSNL सभी से कहा गया है कि वे यूजर्स को भेजे जाने वाले मेसेजेस को ट्रेस करें, जिससे स्पैम मेसेजेस और फिशिंग अटैक्स को रोका जा सके। शुरू में इसके लिए 31 अक्टूबर की डेडलाइन दी गई थी लेकिन अब 1 दिसंबर से नई गाइडलाइन्स लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या यूजर्स के मेसेजिंग एक्सीपीरियंस पर पड़ेगा असर?
कुछ लोगों ने मेसेज ट्रेसेबिलिटी के नए नियम को OTP डिलीवरी सिस्टम से जोड़ दिया। हालांकि, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। TRAI ने स्पष्ट किया है कि नेट बैंकिंग और आधार OTP जैसे महत्वपूर्ण मेसेजेस की डिलीवरी में किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। TRAI ने यह भरोसा दिया है कि नए नियमों का मकसद केवल स्पैम मेसेजेस और स्कैम्स को रोकना है, और यह आम यूजर्स के लिए किसी भी तरह की असुविधा या परेशानी की वजह नहीं बनेगा।
कुल मिलाकर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है और आपके मेसेजिंग अनुभव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। नई गाइडलाइन्स के लिए जरूरी बदलाव टेलिकॉम कंपनियों और मेसेज भेजने वाली फर्म्स को करने होंगे और यूजर्स को कुछ नहीं करना है। इसी तरह उन्हें किसी भी तरह की परेशानी ना हो, इस बात का ध्यान भी रखा जाएगा।
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