Heeramandi: मल्लिकाजान की इस मेहंदी डिज़ाइन की खासियत जान उड़ जाएंगे आपके होश
- मल्लिकजान के किरदार की तरह उनकी मेहंदी का डिज़ाइन भी खबरों में बना हुआ है। जानिए इस मेहंदी के डिज़ाइन में आखिर क्या है खास।
संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी में मनीषा कोइराला के किरदार मल्लिकजान यादगार बन गया है। फिल्म ख़ामोशी के बाद एक्ट्रेस 28 साल बाद डायरेक्टर के साथ काम करती दिखी हैं। मनीषा को उम्र के इस पढ़ाव पर करियर का ऐसा रोल मिला है जो सालों भुलाया नहीं जा सकता। सीरीज में उनकी परफॉरमेंस और जबरदस्त लुक की चर्चा तो हो रही है। लेकिन उनकी हाथों की मेहंदी का डिज़ाइन भी उनके किरदार की तरह अनोखा और पसंद किया जा रहा है। आखिर क्या मतलब है मेहंदी के इस डिज़ाइन का? चलिए हम आपको बताते हैं।
मल्लिकाजान की मेहंदी
हीरामंडी में मनीषा कोइराला के किरदार मल्लिकजान का इंट्रोडक्शन शानदार था। एक्ट्रेस किसी महारानी की तरह अपनी गद्दी पर बैठीं मेहंदी लगवाती देखी जा सकती हैं। उनकी खूबसूरती और अदाओं के साथ इस मेहंदी के डिज़ाइन ने भी ऑडियंस को आकर्षित किया।। दरअसल, इस तरह के मेहंदी के डिज़ाइन की शुरुआत 1950 के दशक में हो गई थी। डायरेक्टर ने संजय लीला भंसाली ने उस दौर को स्क्रीन पर उतारने के लिए मेहंदी के डिज़ाइन पर भी बारीकी से ध्यान दिया है।
इस नाम से जाने जाते हैं मेहंदी के डिज़ाइन
ऐसे मेहंदी के डिज़ाइन 1950 और 60 के दशक में नोटिस किए गए थे। भारत में इसकी शुरुआत मुमताज़ महल ने की थी। हीरामंडी में इसी मेहंदी के डिज़ाइन को देखा गया जिसे कटवान फुल्या (फ्लोरल ग्रिड) और लहरिया (वेव) कहा जाता है। इस डिज़ाइन में पतली लकीरों को आपस में जोड़ा जाता है।उस समय इस डिज़ाइन के अलावा महिलाओं के हाथों पर कई तरह के मेहंदी के डिज़ाइन देखे गए थे। उन डिज़ाइन को बिछुरा, Chah-Dankiya, चुनरी, घेवर और चौपर जैसे नामों से जाना जाता था। 1950-60 के दशक के मेहंदी के ये डिज़ाइन एक बार फिर ट्रेंड में हैं। कई दुल्हनों के हाथों में इस तरह के डिज़ाइन को देखा जा सकता है।
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