90s के इन धांसू शोज ने बदल दी थी टीवी की पूरी दुनिया, अब वैसी पॉपुलैरिटी संभव नहीं
90 के दशक के उन बेहतरीन शोज के बारे में बताते हैं जिनसे एक बार फिर से पुरानी यादें ताजा हो जाएंगी। उनकी लोकप्रियता की बराबरी नहीं हो सकती। इन्हें देखकर लगता है कि आखिर अब ऐसे शोज क्यों नहीं बनते।
90 के दशक में मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम टीवी था। दर्शक बेसब्री से कई शोज का इंतजार करते थे और मेकर्स भी नए-नए तरह के कंटेंट का प्रयोग कर रहे थे। फैंटेसी, धार्मिक और बच्चों के लिए बने शोज का बोलबाला था। ऐसे अनेकों शोज हैं जो आज भी याद किए जाते हैं। उनमें से कुछ अब ओटीटी पर उपलब्ध हैं और उन्हें वहां देख सकते हैं। 90 के दशक के इन शोज ने टीवी की दुनिया की पूरी काया पलट दी। अब तो वैसी पॉपुलैरिटी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज इस रिपोर्ट में ऐसे की कुछ सीरियल के जरिए पुरानी यादें ताजा कराते हैं।
चंद्रकांता
दूरदर्शन पर 'चंद्रकांता' का प्रसारण 1994 से 96 के बीच हुआ। शो में शाहबाज खान, शिखा स्वरूप, मुकेश खन्ना, इरफान खान और पंकज धीर ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। यह शो देवकी नंदन खत्री के उपन्यास पर आधारित था। बड़ों के साथ बच्चों को यह काफी पसंद आया है। सीरियल का खलनायक क्रूर सिंह का डायलॉग 'यक्कू' तो हर बच्चे की जुबां पर चढ़ गया था।
शक्तिमान
मुकेश खन्ना ने 'शक्तिमान' में डबल रोल किया। उनका एक किरदार सुपरहीरो का था और एक पत्रकार का था। 'शक्तिमान' की लोकप्रियता ऐसी थी कि बच्चे स्कूल से बंक करने लगे थे। सीरियल का प्रसारण पहले शनिवार की सुबह और मंगलवार की शाम को होता था। नॉन प्रााइम टाइम होने के बावजूद इसे जबरदस्त दर्शक मिले। बाद में यह इतना लोकप्रिय हो गया कि मुकेश खन्ना ने इसे रविवार को प्रसारित करने के फैसला किया और इसके लिए उन्हें दूरदर्शन को ज्यादा पैसे देने होते थे। वह शो के प्रोड्यूसर भी थे।
विक्रम बेताल
रामानंद सागर को 'रामायण' के लिए याद किया जाता है। उनका एक और हिट शो 'विक्रम बेताल' 1993 में प्रसारित हुआ। दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल में अरुण गोविल, अरविंद त्रिवेदी, दीपिका चिखलिया और विजय अरोड़ा थे। इसमें राजा विक्रमादित्य की कहानी दिखाई गई जो अपनी पीठ पर बेताल को लादकर चलता है। सफर में बेताल उसे कहानी सुनाता है। इस तरह हर एपिसोड में अलग-अलग कहानियां दिखाई जाती थीं।
सुरभि
टीवी का पहला क्विज शो 'सुरभि' का प्रसारण 1993 से लेकर 2001 तक हुआ। इसे रेणुका शहाणे और सिद्धार्थ काक होस्ट करते थे। शो में वे भारतीय संस्कृति और सभ्यता को अलग तरह से दिखाते थे। शो के आखिर में सवाल पूछा जाता था जिसका जवाब दर्शकों को पोस्टकार्ड पर देना होता था। उन दिनों मेकर्स के ऑफिस में करीब 1.5 लाख पोस्टकार्ड हर हफ्ते आते थे। इस शो की लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं कि डाक विभाग ने इसके लिए 'कॉम्पिटिशन पोस्टकार्ड' शुरू कर दिया था।
शांति
1994 के सीरियल 'शांति' से मंदिरा बेदी घर-घर लोकप्रिय हो गईं। इसके अन्य कलाकारों में अमित बहल, अनूप सोनी, अमर तलवार और मोहिनी शर्मा थीं। सीरियल की कहनी एक महिला पत्रकार पर आधारित थी।
स्वाभिमान
इस सीरियल का निर्देशन महेश भट्ट ने किया जो 1995 से लेकर 98 तक चला। शो के मुख्य कलाकारों में किट्टू गिडवानी, अभिमन्यु सिंह, अंजू महेंद्रू, दीपक पराशर, कुनिका, रोहित रॉय, आशुतोष रााण, मनोज बाजपेयी और शरद कपूर थे।
द जंगल बुक
दूरदर्शन के इस सबसे पॉपुलर कार्टून शो 'द जंगल बुक' को टीवी पर 1989 से 90 तक दिखाया गया। इसके कुल 52 एपिसोड दिखाए गए। शो का टाइटल गाना 'जंगल जंगल बात चली है' गुलजार ने लिखा।
अलिफ लैला
सीरियल अलिफ लैला का निर्माण रामानंद सागर की प्रोडक्शन कंपनी ने की। इसके सीजन बनाए गए थे जिसे 1993 से 97 तक दिखाय गया। यह सीरियल अरब देशों की कहानियों के संग्रह बन बना। इसमें सिंदबाद की कहानियां भी शामिल हैं जो बच्चों को बहुत पसंद आती थीं।
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