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तवायफों पर क्यों फिल्में बनाते हैं संजय लीला भंसाली? बताया था- वेश्याओं को क्या करते देखा...

संजय लीला भंसाली वेश्याओं की जिंदगी और रेड लाइट एरियाज के प्रति काफी संवेदनशील भाव रखते हैं। उनकी वेब सीरीज हीरामंडी भी इसी विषय पर आधारित है। जानिए उनके बचपन का वेश्याओं से जुड़ा किस्सा।

Kajal Sharma लाइव हिंदुस्तान, मुंबईMon, 6 May 2024 06:18 PM
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तवायफों पर क्यों फिल्में बनाते हैं संजय लीला भंसाली? बताया था- वेश्याओं को क्या करते देखा...

संजय लीला भसाली की नेटफ्लिक्स सीरीज हीरामंडी इन दिनों चर्चा में है। फिल्म आजादी से पहले की कहानी है। इसमें लाहौर के हीरामंडी इलाके की वेश्याओं की जिंदगी के किस्से होंगे। इससे पहले रेड लाइट एरिया के बैकड्रॉप पर बनीआलिया भट्ट स्टारर फिल्म गंगूबाई को काफी तारीफ मिल चुकी है। भंसाली की मूवी देवदास में भी एक तवायफ चंद्रमुखी अहम किरदार में थी। संजय लीला भंसाली की फिल्मों में वेश्यालय और रेड लाइट एरिया बड़ी भव्यता से दर्शाए जाते हैं। इस सब्जेक्ट से उनके खास लगाव की क्या वजह है, संजय लीला भंसाली एक पुराने इंटरव्यू में बता चुके हैं। 

रेड लाइट एरिया के पास रहे हैं भंसाली
संजय लीला भंसाली एक बार फिर से सेंसिटिव सब्जेक्ट पर काम किया है। उनका अपकमिंग प्रोजेक्ट हीरामंडी नेटफ्लिक्स पर देखा जा रहा है। यह सीरीज पाकिस्तान के रेड लाइट एरिया की कहानी है। संजय की फिल्मों में वेश्याओं की जिंदगी को हमेशा बड़ी संवेदनशीलता से दिखाया जाता रहा है। वह फिल्म कंपेनियन से बातचीत में इस विषय से जुड़ाव की वजह बता चुके हैं। भंसाली ने बताया था कि वह मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा के पास एक चॉल में पले-बढ़े हैं। उन्होंने बचपन में वो इलाका करीब से देखा है।

नहीं भूले बचपन की वो बात
संजय लीला भंसाली ने कहा था, आप जो बचपन में देखते हो उसके प्रति सेंसिटिव हो जाते हो। उन्होंने सेक्स वर्कर्स को क्लाइंट्स के सामने 20 रुपये के लिए खुद को बेचते देखा है। संजय बोलते हैं, किसी इंसान की कीमत 20 रुपये कैसे हो सकती है? कुछ चीजें थीं जो मेरे दिमाग में रह गईं। लेकिन मैं उन्हें ठीक से कह नहीं पाया। मैं उनको चंद्रमुखी के जरिये तलाशता हूं...हम अनमोल हैं, हमारी कीमत नहीं लगाई जा सकती। हम 5, 20 या 50 रुपये में नहीं बेचे जा सकते। यह अमानवीय है।

मेकअप के पीछे का दर्द
भंसाली ने बताया था, आप जब हर रोज स्कूल जाते हैं और यह सब देखने के लिए सेंसिटिव होते हैं... लेकिन उनके चेहरों पर अनगिनत कहानियां होती थीं। वे खूब मेकअप करती थीं। वे बहुत सारा पेंट और पाउडर लगाती थीं, उनका दुख तो देखिए। आप वो दुख कैसे छिपा सकते हैं। आप नहीं छिपा सकते। बड़े से बड़ा मेअकप आर्टिस्ट भी ऐसा नहीं कर सकता। वही पल होते हैं, एक फिल्ममेकर के तौर पर यही मायने रखते हैं। बात करें हीरामंडी की तो संजय लीला भंसाली बता चुके हैं कि फिल्म की स्क्रिप्ट मोइन बेग उनके सामने 14 साल पहले लाए थे। भंसाली दूसरे प्रोजेक्ट्स में बिजी थे तो इस पर काम नहीं कर पाए।

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