'हमसे गलती हुई, हमने फिल्म को रामलीला के चश्मे से देखा', आदिपुरुष विवाद पर बोले मनोज मुंतशिर
आदिपुरुष बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। 600 करोड़ के बजट में बनी फिल्म का ऐसा हाल हो जाएगा मेकर्स ने बिल्कुल नहीं सोचा था। फिल्म को लेकर आलोचनाओं पर मनोज मुंतशिर ने स्वीकार किया कि गलती हुई है।
'आदिपुरुष' को रिलीज हुए लगभग 5 महीने हो चुके हैं लेकिन आज भी जब फिल्म का कहीं जिक्र होता है तो इसके लिए मनोज मुंतशिर को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। फिल्म के डायलॉग को लेकर उन्होंने माफी मांगी थी लेकिन यह विवाद तो जैसे उनके साथ जुड़ गया है। वह सफाई देते रहे लेकिन लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। मनोज ने फिल्म को लेकर माना कि गलती हुई है। साथ ही वह यह भी कहते हैं कि उनका उद्देश्य गलत नहीं था लेकिन दर्शकों से कनेक्ट नहीं हो पाए।
फिल्म के नैरेटिव से जुड़ा था डायलॉग
'आदिपुरुष' को लेकर डायरेक्टर-एक्टर्स से कहीं ज्यादा ट्रोलिंग मनोज की हुई है। लल्लनटॉप के साथ बातचीत में वह फिल्म को लेकर कहते हैं, 'आदिपुरुष सही उद्देश्य के साथ बनी हुई एक गलत फिल्म थी। ये स्वीकार कर लेने में मैं छोटा नहीं हो जाता है।' आगे वह कहते हैं, 'हर फिल्म को बनाने का एक नैरिटिव होता है जो हम सोचते है। कहानी तो वही है जिसे अलग-अलग तरीके से सुनाई जा सकती है। इस देश में हम 300 तरह के रामायण पढ़ते हैं।'
सरलता के मोह जाल में फंस गए
'फिल्म को शुरू करते वक्त हमारे डायरेक्टर ओम राउत, प्रोड्यूसर भूषण कुमार, हम सबका उद्देश्य यह था कि आज की पीढ़ी से थोड़ा कनेक्ट हो सकें। अगर हम वहां पहुंच पाएं कि आपके नायक केवल थॉर नहीं हैं, आपके नायक सिर्फ कैप्टेन अमेरिका नहीं हैं, आपके नायक बजरंग बली भी हो सकते हैं, भगवान श्रीराम भी हो सकते हैं तो ये अच्छी बात होगी। ये हमारा मिशन था, ये हम करना चाहते थे। शायद हमसे गलती ये हुई कि हम शायद हम बहुत ज्यादा सरल हो गए। हम सरलता के मोह जाल में फंस गए और गंभीरता नहीं होने से यह मौका हमारे हाथ से निकल गया।'
क्यों लिखा हनुमान का डायलॉग
आगे वह कहते हैं, 'जिस डायलॉग की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरी बाप की, ये डायलॉग लिखते हुए जो हम सबके मन में यह था कि हम फिल्म को रामलीला के चश्मे से देख रहे थे। शायद यह हमारी गलती थी कि हम फिल्म को रामलीला के चश्मे से देख रहे थे। मैं तो बहुत सारी राम लीलाएं देख चुका हूं। एक ऐसे गांव में पला बढ़ा हूं जहा मनोरंजन का दूसरा साधन नहीं होता तो मैं तो दशहरे के मौके पर बड़ा खुश होता था।'
लोकोयुक्ति से जुड़ा डायलॉग
उन्होंने आगे कहा, 'हनुमान जी के साथ अक्सर एक कॉमिक रिलीफ जुड़ा रहा। इसलिए बच्चों के हमेशा फेवरेट कैरेक्टर हनुमान जी बने रहे। हमारे मन में भी यही था। हमने बहुत रिसर्च की। यह डायलॉग मेरा लिखा हुआ नहीं था। जैसे आप बहुत सी चीजें बाबा तुलसी की उठा लेते ,हैं रामायण से उठा लेते हैं, यह लोकोयुक्ति बन चुकी थी। कई कथावाचक इसे बोलते हैं।'
लोगों ने रिजेक्ट कर दी फिल्म
फिल्म को लेकर वह पीछे क्यों हट गए इस पर उन्होंने कहा, 'पीछे हटने की बहुत बड़ी वजह थी हमने फिल्म बनाई किसके लिए है। पहले दिन फिल्म की ओपनिंग लगती है 141 करोड़, उसके बाद फिल्म सीधे गर्त में जाकर गिरी। इसका सीधा सा मतलब है कि लोग फिल्म नहीं देख रहे हैं। लोग फिल्म को रिजेक्ट कर चुके हैं तो अगर लोग रिजेक्ट कर चुके हैं तो मैं इतना अहंकारी क्यों होऊं।'
मनोज मुंतशिर कहते हैं, 'फिल्म पूरी ढंग से बनी थी इस पर मैं क्यों दावा करूं? मैंने फिल्म बनाई नहीं थी। यह बात जितनी जल्दी लोग समझ जाएं कि मैंने फिल्म नहीं बनाई थी। पिक्चर बनाने वाले कोई और लोग थे। पिक्चर के हीरो-हीरोइन कोई थे।'