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बेटी की परवरिश को लेकर बोलीं देबिना बनर्जी, 'बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी जरूरी है अनुशासन'

देबिना बनर्जी और गुरमीत चौधरी 3 अप्रैल को अपनी बेटी को जन्म दिया था जिसका नाम उन्होंने लियाना रखा है। इस साल देबिना पहला मदर्स डे मना रही हैं और उन्होंने अपने मां बनने के बाद के सफर को साझा किया है।

Shubhangi Gupta टीम लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSun, 8 May 2022 01:07 PM
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टीवी के मशहूर कपल्स में से एक देबीना बनर्जी और गुरमीत चौधरी बीते दिनों ही एक बेटी के माता-पिता बने हैं। देबिना ने 3 अप्रैल को अपनी बेटी को जन्म दिया था जिसका नाम उन्होंने लियाना रखा है। इस कपल के लिए यह खुशी और भी ज्यादा खास है क्योकि शादी के 11 साल बाद दोनों के घर किलकारी गूंजी है। हर नई मां के लिए अपने नन्हे से बच्चे की परवरिश करना जितना सुखद होता है उतना ही एक उतार-चढ़ाव वाला अनुभव भी होता है। इस साल देबिना पहला मदर्स डे मना रही हैं। हाल ही में देबिना ने अपने अब तक के मां बनने के बाद के सफर को साझा किया है।

बिल्कुल बदल जाती हैं जिंदगी

देबिना का कहना है कि इस साल यह दिन मेरे लिए बहुत अलग है। मां बनना बहुत अच्छा अनुभव है। इसके बाद जिंदगी बिल्कुल बदल जाती है। आप अब तक जो कुछ भी सोच रहे होते थे, अब वह सब विचार बच्चे की भलाई को ध्यान में रखते हुए आते हैं। उसके अनुसार सब कुछ प्लान होता है कि कहीं बच्चे को कुछ परेशानी ना हो।

मां बनने के बाद समझी अपनी मां को

माता-पिता के लिए सबसे कठिन यह समझना होता है कि बच्चे के रोने का क्या मतलब है। यह जानने की कोशिश करना कि हमारा बच्चा क्या चाहता है, उसके रोने का क्या मतलब है। मां बनने के बाद अब मैं अपनी मां को समझ सकती हूं, जो हर रोज यह पता लगाने की कोशिश करती थी कि मेरे दिमाग में क्या चल रहा है, मैं क्या खाना चाहती हूं, मैं क्या सोच रही हूं।

मां पर ही करती हूं भरोसा

देबिना का कहना है कि उन्हें तभी आराम मिलता है जब उनका बच्चा अपनी माँ के साथ होता है। मुझे नहीं लगता कि मैं उसके बिना कुछ भी कर पाऊंगी। मेरी मां मुझसे अभी तक ऐसे ही जुड़ी हुई हैं। मैं अपने अलावा सिर्फ उनपर भरोसा कर सकती हूं। जब मेरी बच्ची उनके साथ होती है तो मैं थोड़ा आराम कर पाती हूं।

अनुशासन है बहुत जरूरी

देबिना का कहना है कि बेटी के जन्म के बाद से उनकी जिंदगी में बदलावा आया है लेकिन इतना भी नहीं क्योंकि पहले दिन से ही वो अपने बच्चे के साथ खुद अनुशासन में हैं और उसे भी करने की कोशिश कर रहे हैं। देबिना कहती हैं, 'हम सुबह जल्दी उठ जाते हैं और जल्दी सो जाते हैं। पहले कुछ दिन वह पूरी रात जागती थी और दिन में सोती थी लेकिन अब हम उसे रात को सुलाते हैं, और सुबह समय से उसे जगाते हैं, और उसे नहलाते हैं। बच्चों के साथ-साथ माता-पिता के लिए भी अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है।'

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