दर्दभरी थी Gadar के असली तारा सिंह की कहानी, दबाव में आकर ट्रेन के सामने कूदकर दी थी जान
Gadar Real Story: सनी देओल और अमीषा पटेल की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'गदर' की कहानी बूटा सिंह नाम के एक सिपाही पर आधारित है। इस सिपाही की दर्दभरी प्रेम कहानी सुन आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
बॉलीवुड एक्टर सनी देओल और एक्ट्रेस अमीषा पटेल की फिल्म 'गदर 2' रिलीज के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, इस फिल्म को देखने से पहले आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि इस फिल्म की कहानी किससे इंस्पायर्ड है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बटवारे से पहले ब्रिटिश सेना में एक सिख सिपाही थे। इस सिपाही का नाम बूटा सिंह था। सनी देओल का किरदार तारा सिंह इसी सिपाही पर आधारित है। अब सवाल यह उठता है कि क्या 'गदर 2' की कहानी भी इसी सिपाही की कहानी से ली गई है? ये जानने के लिए आपको पहले बूटा सिंह की कहानी जाननी पड़ेगी।
ठीक गदर की तरह शुरू हुई प्रेम कहानी
साल 1947 में जब बंटवारा हुआ तब कुछ लोग पाकिस्तान की ओर जाने लगे। हालांकि, दंगों की वजह से कुछ लोग अपने परिवार वालों से बिछड़ गए और पाकिस्तान नहीं जा पाए। इन्हीं में से एक थी जैनब। तारा सिंह की ही तरह बूटा सिंह ने भी जैनब की जान बचाई और उसे अपने घर में पनाह दी। देखते ही देखते दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया और फिर दोनों ने शादी कर ली। कुछ समय बाद जैनब ने बेटी को जन्म दिया। हालांकि, मुस्लिम होने की वजह से जैनब को पाकिस्तान जाना पड़ा।
जैनब ने दबाव में आकर तोड़ा बूटा सिंह से रिश्ता
तारा सिंह की ही तरह बूटा सिंह को भी पाकिस्तान जाने नहीं दिया गया। लेकिन, बूटा सिंह गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान में घुस गए। उन्होंने जैनब से संपर्क करने की कोशिश की। हालांकि, जैनब ने परिवार के दबाव में आकर बूटा सिंह से तलाक ले लिया और फिर अपने चचेरे भाई से निकाह कर लिया। उधर बूटा सिंह को गैरकानूनी तरीके से सीमापार करने के जुर्म में पकड़ लिया गया। कोर्ट में जब बूटा सिंह को पेश किया गया तब उन्होंने जैनब के बारे में बताया। लेकिन, कहा जाता है कि जैनब ने उन्हें अपना पति मानने से इनकार कर दिया। बूटा सिंह टूट गए और उन्होंने अपनी बेटी के साथ ट्रेन के आगे कूदकर जान देने की कोशिश की। इसमें बेटी तो बच गई लेकिन, बूटा सिंह की मौत हो गई।
नहीं पूरी हो सकी बूट सिंह की आखिरी इच्छा
बूटा सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को उसी गांव में दफनाया जाए, जहां पर जैनब के माता-पिता विभाजन के बाद बसे थे। लेकिन, उनकी ये आखिरी इच्छा पूरी नहीं हुई। जब बूटा सिंह के पार्थिव शरीर को उस गांव में ले जाया गया तब गांववालों ने उन्हें वहां दफनाने से मना कर दिया। फिर बूटा सिंह के शरीर को मिआनी साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया।
गदर 2 की कहानी है थोड़ी अलग
'गदर: एक प्रेम कथा' की कहानी काफी हद तक बूटा सिंह की कहानी से मिलती है। हालांकि, फिल्म में थोड़ा-सा हिस्सा बदल दिया गया था। फिल्म के आखिर में दिखाया गया कि तारा सिंह अपनी सकीना और बेटे को वापस इंडिया लाने में कामयाब हो जाते हैं। वहीं 'गदर 2' में दिखाया जाएगा कि तारा सिंह अपने बेटे के लिए एक बार फिर पाकिस्तान जाते हैं। बता दें, 'गदर 2' 11 अगस्त के दिन सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।