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सब धंधा है, अंग्रेजी बोलने का बहुत शौक है तो पड़ोसी से बोलो; भारती-हर्ष को मनोज बाजपेयी ने क्यों दी ये सलाह?

एक्टर मनोज बाजपेयी ने भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के पॉडकास्ट में अपने जीवन से जुड़े कुछ मेजदार किस्से साझा किए। साथ ही, एक्टर ने भारती और हर्ष को कुछ पेरेंटिंग टिप्स भी दीं।

Harshita Pandey लाइव हिन्दुस्तानFri, 26 April 2024 12:16 PM
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बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी और प्राची देसाई का शो 'साइलेंस 2- द नाइट आउल बार शूटआउट' जी5 पर रिलीज हो चुका है। शो को दर्शकों से बहुत प्यार मिल रहा है। शो के एक्टर्स मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के पॉडकास्ट में पहुंचे। यहां मनोज बाजपेयी ने अपने बचपन से जुड़े कुछ मजेदार किस्से सुनाए। साथ ही, उन्होंने आजकल के बच्चों की पेरेंटिंग को लेकर भी अपने विचार सामने रखे।

'अंग्रेजी बोलने का बहुत शौक है तो अपने पड़ोसी से करना'

पॉडकास्ट में भारती सिंह ने एक्टर से मजाकिया अंदाज में पूछा कि क्या आजकल के बच्चे ठीक आ रहे हैं? इसपर मनोज बाजपेयी ने भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया को सलाह दी कि अपने बच्चे से घर पर पंजाबी और गुजराती में बात करते रहो। उन्होंने कहा कि अगर आपको अंग्रेजी बोलने का बहुत शौक है तो अपने पड़ोसी से बोला करो क्योंकि मुंबई शहर में बच्चे अपनी भाषा नहीं सीख पाते हैं।

'...तो वो सब फिर टेलर स्विफ्ट ही सुनेंगे'

मनोज बाजपेयी ने बताया कि मेरी बेटी हिंदी में अब जाकर बहुत अच्छे नंबर लेकर आने लगी है। धीरे-धीरे उसकी हिंदी अच्छी हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां बच्चों को स्कूल में अपनी भाषा नहीं बोलने देते और अगर आप भी उससे अपनी भाषा में बात नहीं करेंगे तो वो दिक्कत है। अगर आप भी बच्चों से अंग्रेजी में बात करोगे तो वो सब फिर टेलर स्विफ्ट ही सुनेंगे।

प्री स्कूल को बताया धंधा

इस बातचीत के दौरान भारती सिंह के बताया कि वो अपने बेटे गोला को स्कूल (प्री स्कूल) भेजती हैं। इसपर मनोज बाजपेयी ने कहा, "मैं तो कहूंगा कि उसे स्कूल मत भेजो। बच्चे को नर्सरी में क्यों भेज रहे हो, ये पांच साल उसे घर पर खेलने दो क्योंकि उसके बाद जिंदगी की चक्की में पिसना है उसको।" मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह सब धंधा है।

मनोज बाजपेयी ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने से अच्छा है कि कुछ टीचर्स आते हैं जो बच्चों के साथ खेल खेलते हैं जिससे बच्चे के शरीर और दिमाग का विकास होता है। यह सब करो बच्चे के साथ। मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह अलग बात है कि अगर मां-बाप दोनों ही काम करते हैं तब बच्चों को स्कूल भेजो। मनोज बाजपेयी ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को एक साल बाद ही नर्सरी से निकाल लिया था।

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